सरकार की भू - अर्जन प्रक्रिया के विरुद्ध किसानों ने कसी कमर, जाएंगे हाईकोर्ट की शरण में

कटनी / विजयराघवगढ़। बरगी दाई तट नहर से विजयराघवगढ़ क्षेत्र में जाने वाली माइनर नहर योजनांतर्गत विजयराघवगढ़ क्षेत्र के पांच हजार से अधिक किसानों की बेशकीमती जमीनों को नाममात्र का मुआवजा देकर भू - अर्जन की कार्यवाही से क्षेत्र भर के किसान उद्वेलित हो रहे हैं। किंतु किसानों को कोई न्याय नहीं मिल पा रहा है।



माइनर नहरों में हजारों किसानों की बेशकीमती जमीनों को सरकार अधिकारियों के माध्यम से जबरिया भू - अर्जन की कार्यवाही को अंजाम दे रहे हैं। जिससे विजयराघवगढ़ क्षेत्र के किसानों में भारी आक्रोश व्याप्त है। किसानों की समस्याओं के निराकरण में न तो अधिकारी ध्यान दे रहे और न ही जनप्रतिनिधि। जिससे विजयराघवगढ़ क्षेत्र के नन्हवारा,झिरिया,काल्हरा, मझगवा,रमन,देवरी मझगवा,मोहन टोला, खल वारा ,सलैया, दुर्जनपुर, हरैया एवं अन्य गांवों के किसान सरकार की दोषपूर्ण भू - अर्जन की कार्यवाही के विरुद्ध हाईकोर्ट जाने के लिए विवश हो गए हैं।



कटनी जिले में भू - अर्जन की कार्यवाही ही दोषपूर्ण है

अधिकारी टेबिल में बैठकर मनमानी तरीके से भू - अर्जन का मुआवजा देकर किसानों की बेशकीमती भूमि को लेकर नहर निर्माण में किसानों की भूमि छीनकर किसानों को परेशान कर रहे हैं। हजारों किसान विगत एक माह से नहर विभाग व कलेक्ट्रेट के चक्कर लगा रहे हैं। चूंकि कटनी जिले में भू -अर्जन की कार्यवाही जल्दबाजी में की जा रही है। किसानों को नोटिस जारी करके सीधे उनके खातों में भू - अर्जन की राशि डाली जा रही है, जो कि भू - अर्जन नियमों के विरुद्ध है। मुख्य मार्गो से लगी जमीनों की कीमत का मूल्यांकन अधिकारियों द्वारा कम कीमत पर भू - अर्जन अधिनियम को देखे बगैर की जा रही हैं।जिससे किसान परेशान हो रहे हैं।



उपरोक्त नहर का सर्वे सात, आठ वर्ष पूर्व हुआ था, जिसमें एसीसी मेहगांव की सैकड़ों एकड़ माइनिंग लीज उपरोक्त नहर से प्रभावित हो रही थी। जिसके चलते एसीसी उद्योग अपनी माइनिंग को बचाने के लिए राजनैतिक दबाव वश नहर निर्माण में अवरोध करके नहर का सर्वे नक्शे को ही निरस्त करवा दिया था। अब व्यापवर्तन नहर योजना किसानों की जमीनों से होकर गुजरने वाली है जिसके चलते अधिकारी किसानों को बगैर नोटिस व जानकारी के बगैर ही भू - अर्जन की दोषपूर्ण कार्यवाही करके किसानों को चूना लगा रहे हैं। जिससे विजयराघवगढ़ क्षेत्र के किसान आक्रोशित हैं एवं जिला प्रशासन की दोषपूर्ण भू - अर्जन की कार्यवाही को हाईकोर्ट में चुनौती देकर अपनी बेशकीमती जमीनों के समुचित मुआवजे की मांग करेंगे।

विजयराघवगढ़ क्षेत्र में इन दिनों हजारों किसान राजस्व ,नहर, एवं कलेक्ट्रेट के चक्कर लगाकर बुरी तरह से परेशान हैं।किंतु कोई भी जनप्रतिनिधि व अधिकारी किसानों की समस्याओं में दिलचस्पी नहीं ले रहे।

नहर निर्माण का ठेकेदार कर रहा किसानों के साथ मनमानी 

नहर निर्माण का ठेका इंदौर की कंपनी को मिला हुआ है जो कि एक प्रभावशाली नेता के संरक्षण में किसी पेटी कंट्रैक्टर से विजयराघवगढ़ क्षेत्र में नहर का काम करवा रहा है। साथ ही नहर निर्माण में भारी भ्रष्टाचार हो रहा है। घटिया निर्माण कार्य की अनेक शिकायतें भी की गई, किंतु अधिकारी राजनैतिक संरक्षण के चलते नहर निर्माण में हो रहे भ्रष्टाचार पर कोई संज्ञान भी नहीं ले रहे हैं। अब तक विजयराघवगढ़ क्षेत्र में पेटी ठेकेदार द्वारा जितना भी नहर का निर्माण किया गया है वह बेहद घटिया स्तर की सामग्री लगाई जा रही है। कुल मिलाकर सिंचाई की इस महत्व पूर्ण योजना में भू - अर्जन से लेकर निर्माण कार्य तक सरकार के खजाने में बंदर बांट किया जा रहा है। एवं किसानों की बेशकीमती जमानों को जबरिया भू - अर्जन किया जा रहा है।



सुरेन्द्र दुबे पत्रकार विजयराघवगढ़

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