सांप-छछूंदर वाली गति के बीच फंसाया फ्रेंड ने, आपदा में अवसर ढूंढना होगा मित्र को


1985 में बनी फिल्म "आखिर कौन" में गीतकार इंदीवर द्वारा रचित और स्मिता पाटिल और राजेश खन्ना पर गायक लता मंगेशकर तथा अमित कुमार द्वारा गाया गाना "दुश्मन न करे दोस्त ने वो काम किया है" यह गाना 20 साल बाद गत दिवस हूबहू तब साकार हो गया जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को USAID के 21 मिलियन डॉलर का लाभार्थी घोषित कर दिया। तो क्या अब नरेन्द्र मोदी आधी लाइन को पूरा करते हुए कहेंगे "उम्र भर का गम हमें ईनाम दिया है" (मैत्री समान सोच वालों के बीच होती है)

अमेरिका राष्ट्रपति ट्रम्प की परछाई बने कारोबारी एलन मस्क ने हफ्ते भर पहले (16 फरवरी) यह कहते हुए कि भारत को वोटर टर्न आउट के लिए दी जाने वाली 21 मिलियन डॉलर USAID की राशि रोकी जा रही है। और उसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने मयामी में यह कह कर कि भारत पैसा भेजा जा रहा था जिसका मकसद किसी और को चुनाव में मदद करना था जिसे रोक दिया गया है - जो बाइडन प्रशासन USAID की रकम भारत में किसी और को जीतने में मदद करने के लिए घूस के रूप में दे रहा था। फिर क्या था ट्रम्प के एक - एक शब्द को गीता - कुरान - बाइबिल की आयतें मानने वाले बीजेपी के लोग, उसका आईटी सेल, गोदी मीडिया के लोग किसी फैक्ट को चैक किए बिना पिल पडे़ (अपने राजनीतिक दुश्मन की जगह जातीय दुश्मन) कांग्रेस और गांधी परिवार पर यह कहते हुए कि यह मोदी सरकार को गिराने के लिए USAID से मिली राशि का चुनाव में उपयोग कर रही थी।

जबकि न तो एलन मस्क ने न ही डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने बयानों में कांग्रेस या गांधी परिवार के किसी सदस्य का नाम लिया। रीढ़ विहीन गोदी मीडिया ने तो स्वामी भक्ति की ऐसी अलख जगाई कि अखबारों और न्यूज चैनलों में कांग्रेस और सोनिया गांधी - राहुल गांधी पर मोदी के खिलाफ साजिशें रचने की मनगढंत कहानियों की बौछार लगा डाली। "मोदी सरकार को गिराना चाहते थे बाइडन, 182 करोड़ मोदी का तख्तापलट ट्रम्प ने कर दिया EXPOSE! बुरे फंसे राहुल - सोनिया", "भारत में चुनाव US में साजिश खुल रही परत दर परत" । नरेन्द्र मोदी जो व्यक्तिगत तौर पर नेहरू-गांधी परिवार और कांग्रेस से दिल की गहराईयों तक नफरत करते हैं ! उनकी सरकार ने भी सच्चाई जानने की कोशिश नहीं की और संकेत देने शुरू कर दिए कि पूरे मामले की जांच की जायेगी कि अमेरिका से कब किसको पैसा आया है, उसका मकसद क्या था इसका भी पता लगाया जायेगा।

बीजेपी के नेताओं, प्रवक्ताओं के साथ मीडिया सेल के लोग और बिकाऊ मीडिया का कांग्रेस और उसके नेताओं पर हमला तो समझा जा सकता है लेकिन उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का सींग अड़ाना देशवासियों को कुछ अटपटा सा लगा है। उन्होंने  कांग्रेस सोनिया राहुल का नाम लिये बिना कहा कि भारत के लोकतंत्र पर हमला करने वालों को बेनकाब किया जाना चाहिए। भले ही ये नरेन्द्र मोदी की पांवलागी करते हैं मगर इन्हें उप राष्ट्रपति पद की गरिमा का ख्याल तो करना ही चाहिए था। कल को हो सकता है महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू भी इसी तरह के निम्नस्तरीय बयान देने लगें तो क्या रह जायेगी पद की गरिमा ? विदेश मंत्रालय की तरफ से खबर आई कि अमेरिका के साथ मिलकर जांच शुरू कर दी गई है। चैनलों पर चलने लगा कि ट्रम्प ने भारत सरकार को पूरी लिस्ट सौंप दी है बस शिकंजा कसने की देर है।


किसने सोचा था खासतौर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बीजेपी आरएसएस ने कि दूसरे - तीसरे दिन ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ऐसा बयान दे देंगे कि उन्हें पाताल में भी मुंह छिपाने लायक जगह नहीं मिलेगी। गत दिनों अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सीधे तौर पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नाम लेते हुए यह बयान देकर सनसनी फैला दी कि USAID के 21 मिलियन डॉलर यानी तकरीबन 182 करोड़ रुपये वोटर टर्न आउट के लिए मेरे मित्र प्रधानमंत्री मोदी को जाने वाले थे ($21 MILLION WAS GOING TO MY FRIEND PM MODI IN INDIA FOR VOTER TURNOUT) ।

अब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प का नरेन्द्र मोदी को लेकर किया गया खुलासा बीजेपी के सिर पर घड़ों पानी उलेड़ने जैसा है (उस बीजेपी के लिए जिसे ट्रम्प के शब्द धर्मग्रन्थ की तरह होते हैं)। यह बयान किसी एरे-गैरे-नत्थूखैरे का नहीं है बल्कि दुनिया के सबसे शक्तिशाली बड़े लोकतांत्रिक देश अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का है। ट्रम्प का बयान आते ही बीजेपी और उसके तमाम मददगारों ने चुप्पी साध ली है। कांग्रेस ने हमलावर होकर पलटवार किया है कि कल तक कांग्रेस और नेहरू-गांधी परिवार को गरियाने वाले किस कंदरा में मुंह छुपाकर कर बैठे हैं। इतना सन्नाटा क्यों है भाई ! कांग्रेस प्रेस कांफ्रेंस में पीएम मोदी से अब तक मिली USAID का श्वेतपत्र जारी करने की मांग कर रही है। कांग्रेस की मांग है कि श्वेतपत्र में राजनीतिक दल, राजनीतिक व्यक्ति, गैर सरकारी राजनीतिक संगठन, सांस्कृतिक संगठन, अपंजीकृत संगठन खासकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक (आरएसएस) को कहां - कहां से कितना - कितना पैसा कब - कब मिला उनके द्वारा किन - किन गतिविधियों में उसे खर्च किया गया उसका सिलसिलेवार साल वार खुलासा कर देशवासियों को बताये मोदी सरकार।

USAID की ममद से मोदी सरकार का तख्तापलट करने का आरोप जो कांग्रेस पर लगाया जा रहा है वह बीजेपी के सिर पर 2014 में कांग्रेस सरकार का तख्तापलट करने पर लगाया जाने लगा है। कांग्रेस ने हमलावर होते हुए मांग की है कि 2021 - 24 में 650 मिलियन डॉलर आये थे उसका बही-खाता देश के सामने रखा जाना चाहिए। कांग्रेस पार्टी का कहना है कि 2013 में जिस वक्त अन्ना हजारे का आन्दोलन अपने चरम पर था, एक व्यक्ति अरविंद केजरीवाल एक राजनीतिक पार्टी बनाने व्यस्त था और नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री चेहरा बनने के लिए अपने राजनीतिक गुरु लाल कृष्ण आडवाणी के खिलाफ षड्यंत्र रच रहे थे तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक (आरएसएस) भी अन्ना हजारे आन्दोलन को अदृश्य हाथों सपोर्ट कर यूपीए सरकार को अपदस्थ करने के लिए साजिश रच रहा था उस दौरान लोकतांत्रिक भागीदारी और नागरिक सामाजिक उद्देश्य के लिए 3 लाख 65 हजार रुपये आये थे।



डोनाल्ड ट्रम्प ने जिस टर्न आफ वोट के लिए फंडिंग देने का खुलासा किया है कांग्रेस पार्टी उस टर्न आफ वोट की बात पहले से करती चली आ रही है। इस खुलासे के बाद कांग्रेस कह रही है कि चुनाव आयोग की मदद से लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान मतदान का निर्धारित समय समाप्त होने के बाद तकरीबन एक घंटे में जो 10 - 12 फीसदी वोट बढ़ाये गये हैं । क्या उसमें USAID के पैसों से खेला किया गया है ? अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का कहना है कि हम अपने दोस्त प्रधानमंत्री मोदी को वोटर टर्न आउट के लिए 21 मिलियन डॉलर यानी करीब 182 करोड़ रुपये की फंडिंग करते हैं, लेकिन हमारा क्या? हमें भी इसकी जरूरत है। बंग्लादेश को भी वोटर टर्न आउट के लिए 251 करोड़ की फंडिंग करते हैं।



कांग्रेस कहती है कि बंग्लादेश को फंडिंग हुई हो और पीएम मोदी को इसकी खबर ना हो नामुमकिन सा है। भारत से दोस्ताना संबंध रखने वाली सरकार का तख्तापलट हो जाता है समझ से परे है। मोदी के यार ट्रम्प का यह कहना कि USAID भारत में तख्तापलट के लिए मदद कर रहा है, मोदी और उनकी सरकार के मुंह पर तमाचा है। विदेशी ताकत मोदी सरकार को अपदस्थ करने की साजिशें रच रही है और भारत सरकार को खबर नहीं है। क्या कर रहा है भारतीय खुफिया विभाग। कहां है अजीत डोभाल?

कांग्रेस ने आरएसएस पर सीधा हमला करते हुए कहा है कि वह 1960 से ही विदेशी फंडिंग लेकर भारत सरकार (नेहरू-गांधी) के खिलाफ षड्यंत्र रचता रहा है। डोनाल्ड ट्रम्प के खुलासे के बाद गेंद अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बीजेपी के पाले में है। ट्रम्प ने उनकी पूरी साख को दांव पर लगा दिया है। क्या मोदी सरकार और बीजेपी USAID के आरोप को निजी आशंका के तौर पर कांग्रेस और नेहरू-गांधी परिवार को घेर कर जांच कराने के लिए तत्पर है तो क्या अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के द्वारा सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम का खुलासा करने के बाद भी मोदी सरकार अपने खिलाफ निष्पक्षता से जांच कराकर सच्चाई को देशवासियों के सामने लायेगी।

अश्वनी बडगैया अधिवक्ता
स्वतंत्र पत्रकार

No comments

Powered by Blogger.