भाजपाई विधायक ही मोहन सरकार को खड़ा कर रहे कटघरे में

 खरी-अखरी (सवाल उठाते हैं पालकी नहीं) 


कटनी। कुछ दिनों से मीडिया के सभी वर्गों में एक खबर लगातार छाई हुई है विजयराघवगढ़ से धनपति विधायक संजय पाठक के आधार कार्ड में साजिशन रहवासी पते का बदला जाना। कलेक्टर से लेकर पुलिस कप्तान तक बड़ी तत्परता और तन्मयता से पतासाजी में लगे हुए हैं। अच्छी बात है। मगर जिले में हजारों ऐसे गरीब गुरबा हैं जो कलेक्टर और एसपी के अधीनस्थ आने वाले कार्यालय की कार्य प्रणाली का शिकार हो कर चप्पलें चटकाते चक्कर काटते रहते हैं मगर मजाल है कि कलेक्टर और एसपी के माथे बल पड़ते हों। यहां तो यही हकीकत दिखती है कि गरीब की लुगाई सबकी भौजाई।

विधायक संजय पाठक का यह बयान भी मीडिया के जरिए पढ़ने को मिला था (वायरल हुआ था) कि मुझे जान का खतरा है। जो सीधे तौर पर पर्ची सीएम मोहन यादव की सरकार पर सवालिया निशान लगाता है। हाल ही में मऊगंज से फूल छाप पार्टी के विधायक प्रदीप पटेल और उसके बयान पर सही की मुहर लगाते हुए उसी पार्टी के पाटन से विधायक और पूर्व मंत्री विश्नोई ने भी यह कह कर मोहन यादव को कटघरे में खड़ा कर दिया है कि सरकार ड्रग माफिया और शराब माफिया के सामने दंडवत हो चुकी है। मऊगंज के विधायक का वह वीडियो भी सोशल मीडिया में छाया हुआ है जिसमें वे मऊगंज के एएसपी के सामने साष्टांग दंडवत होकर शराब माफिया से अपनी हत्या करवाने को कह रहे हैं। चंद दिन पहले ही प्रदेश में ड्रग का जखीरा पकड़ा गया है। मादक पदार्थों की तस्करी में जिस शक्स को पकड़ा गया है वह उपमुख्यमंत्री देवड़ा का करीबी बताया जा रहा है। भाजपा के कुछ नेता अपराधियों के साथ नेताओं की फोटो होने से नेता का करीबी होने से इंकार कर रहे हैं जबकि भाजपा के तमाम बड़े नेताओं ने विपक्षी दलों के नेताओं के साथ अपराधियों की फोटो होने पर अपनी छातियां पीटी हैं। मोहन ही क्यों शिवराज के समय से ही मध्यप्रदेश को मादक पदार्थों और यौन उत्पीड़न की मंडी तथा इस कारोबार में लगे अपराधियों का सुरक्षित ठिकाना बना दिया गया है। जो कभी पंजाब के लिए कहा जाता था "उड़ता पंजाब" अब ही मध्यप्रदेश के लिए लागू हो रहा है "उड़ता मध्यप्रदेश"। देवरी से भाजपा विधायक बृजबिहारी पटेरिया ने तो पुलिस द्वारा एक पीड़ित की विधायक के कहने के बावजूद एफआईआर दर्ज नहीं करने से क्षुब्ध होकर न केवल थाने में ही धरने पर बैठे बल्कि अपना इस्तीफा तक लिख डाला। मोहन राज में गजब ढा रहा है मध्यप्रदेश जहां चोर - सिपाही गलबहियाँ डाले एक ही घाट पानी पी रहे हैं।

जब संजय पाठक का यह बयान सामने आया कि उन्हें अपनी जान का खतरा है और अब संजय ने यह कह कर अपने कहे से ही मुंह मोड़ लिया है कि वह अपनी सुरक्षा करने के लिए खुद सक्षम (बाहुबली) हैं। इससे वे भाजपाई नेता सकते में आ गये हैं जो संजय की गुड लिस्ट में अपना नाम पहली कतार में लिखवाने के लिए सोशल मीडिया में उछलकूद कर रहे थे। विधायक संजय पाठक का अपने कहे से पलटी मारना इस ओर भी ईशारा करते हुए दिखता कि उनकी नजर भविष्य में होने वाले मंत्रीमंडल में स्थान पाने के लिए मोहन यादव की गुड लिस्ट में शामिल होना है! असंतुष्ट हो रहे विधायकों की संख्या को कम करने के लिए सरकार और संगठन के मुखिया के दबाव से भी इंकार नहीं किया जा सकता।

सबसे चौकाने वाली बात यह है कि संजय पाठक, प्रदीप पटेल, अजय विश्नोई, बृजबिहारी पटेरिया के कहे पर सरकारी मुखिया मोहन यादव और संगठन प्रमुख विष्णुदत्त शर्मा की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। क्या वे अपनी ही पार्टी के विधायकों की टिप्पणियों से सकते में हैं या फिर उनकी नजर में अपने ही विधायकों के कहे का कौड़ी भर भी कोई महत्व नहीं है!

पुनश्च :

_अदम गोंडवी की ऐ पंक्तियां सरकार और संगठन प्रमुख की कारगुजारियों पर सटीक बैठती दिखाई देती हैं_ -  काजू भुने हैं प्लेट में - विस्की गिलास में, उतरा है रामराज विधायक निवास में

अश्वनी बडगैया अधिवक्ता

स्वतंत्र पत्रकार

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