खरी-अखरी (सवाल उठाते हैं पालकी नहीं) चुनाव भी क्या कुत्ती चीज है तानाशाहों को भी घुटनाटेक कर देता है

 


जिन दांवों पर भरोसा कर जीत रहे थे मोदी लगता है कि वही दांव अब भारी पड़ने लगे हैं !

जुमलेबाजों के सरताज ने 2024 का नया जुमला ईजाद किया है - "शिवाजी महाराज मेरे आराध्य देव हैं"। कल तक जो खुद को ईश्वर का अवतार कहता रहा हो वह आज शिवाजी की मूर्ति जमींदोज हो जाने पर चुनावी नफे-नुकसान के मद्देनजर तोल-मोल कर किसी को अराध्य कहने का ढोंग रचे तो इसे जुमला न कहा जाय तो फिर क्या कहा जाय !

नौसेना दिवस के अवसर पर महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थापित की गई महाराष्ट्र की  अस्मिता के प्रतीक छत्रपति शिवाजी महाराज की कांस्य प्रतिमा का अनावरण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 04 दिसम्बर 2023 को किया गया था जो 26 अगस्त 2024 को जमींदोज हो गई। कह सकते हैं कि जिस छत्रपति शिवाजी का मस्तक हर परिस्थितियों में सदैव ऊंचा रहा उस मस्तक को नानबाॅयोलाजिकल की डबल इंजन सरकार ने जमीन पर रख दिया। बताया जाता है कि इस कांस्य प्रतिमा को बनाने में 3 हजार 6 सौ करोड़ रुपए लागत आई है। कहने की जरूरत नहीं है कि इन 3600 करोड़ रुपये में कितना बंदरबांट हुआ होगा।

वैसे यह भाजपा की डबल इंजन सरकार की कोई पहली घटना नहीं है। इस तरह की घटना घटित करवाने में इन्हें महारत हासिल है। मध्य प्रदेश के उज्जैन में महाकाल कारीडोर में स्थापित की गई प्रतिमाएं सालभर के भीतर ही बिखर कर खंडहर में तब्दील हो गई थीं। सुप्रीम कोर्ट से मुकदमा जीते रामलला को छलकपट से दरकिनार कर राजनीतिक लाभ उठाने के लिए बेमहूरत, अर्द्ध निर्मित मंदिर में 24 जनवरी 2024 को राम मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के बाद करोड़ों रुपयों की लागत से बनाये गए मंदिर में पहली बरसात (जून - जुलाई) में ही गर्भ-गृह में पानी टपकने के वीडियो वायरल होने लगे। करोड़ों रुपये खर्च कर किसी हीरोइन के गालों की तरह बनाई गई चिकनी - चुपड़ी सड़कें पाताल की ओर अग्रसर होने लगी। सड़कों पर लगी लाइटें 6 महीने में ही नदारत हो गई। दिल्ली में अरबों रुपये की लागत से बनाई गई नई संसद की छत से पानी टपकने लगा। दिल्ली सहित देश के विभिन्न प्रदेशों के एयरपोर्ट की क्या दयनीय दशा हुई किसी से छिपा नहीं है। एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश के आवागमन की दूरी कम करने के लिए बनाई गई शानदार - जानदार सड़कों में कोढ की तरह दिखाई दे रहे रहे बदनुमा दाग, भाजपा - जेडीयू के गठबंधन वाली सरकार के सूबे में तो जैसे पुलों में जल समाधि लेने की होड़ ही लग गई थी। जिस नानबाॅयोलाजिकल वाले का काम सालभर भी टिक नहीं पा रहा है वह देशवासियों को 2047 का सपना दिखा रहा है। है न कमाल की बात।

पीएम नरेन्द्र मोदी जिस तरह से सार्वजनिक सभा में माफी मांग रहे थे उसके वीडियो भी वायरल हो रहे हैं। उसमें मोदी की बाॅडी लेंग्वेज और उनका लहजा ऐसा लग रहा है जैसे वे माफी मांग कर छत्रपति शिवाजी महाराज पर एहसान कर रहे हों । वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव ने इस पर अपनी व्यंगात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए लिखा है कि "यह ओजस्विता - यह तेजस्विता - यह प्रताप - यह वीरभाव - यह गर्वोन्नत भाल - आराध्य देव के प्रति यह विद्युत सा कड़कड़ाता भक्तिभाव - देदीप्तिमान मुखमंडल किसी ने अपने आराध्य से ऐसी विगलित - ह्दय, मंद स्वर तथा विनीत मुद्रा में क्षमा याचना न की होगी। चरणों में लोट जाने की इच्छा हो रही है। इस अदा पर लुट जाने की तमन्ना जग रही है"।

वरिष्ठ पत्रकार अशोक वानखेड़े ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि महाराष्ट्र में पहली बार हुआ है जब छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा जमींदोज हुई है। जिसे लेकर पूरे महाराष्ट्र में गुस्सा है। शिवाजी की प्रतिमा खंड - खंड होने पर प्रदेश के सीएम ने नेवी के पाले में गेंद डालते हुए कह दिया कि इस घटना से हमारी सरकार का कोई लेना-देना नहीं है। जनता के गुस्से और गर्मा गई राजनीति के मद्देनजर उपमुख्यमंत्री ने जरूर माफी मांगी। कहा जा रहा है कि महाराष्ट्र में कुछ ही महीने के भीतर होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए माफीवीरों ने माफी मांगी है वरना महाराष्ट्र की तरफ तिरछी नज़र से भी नहीं देखा जाता।

इस अवसर को कांग्रेस भी भुनाने क्यों चूके। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि "छत्रपति शिवाजी महाराज के अपमान का बदला तो महाराष्ट्र जरूर लेगा लेकिन आज महाराष्ट्र की जनता और विपक्ष के घोर विरोध के आगे नरेन्द्र मोदी को नाक रगड़ कर राष्ट्र गौरव शिवाजी से माफी मांगनी पड़ी। लेकिन सबको पता है कि यह माफी नहीं ढ़ोंग है वरना इस पाप के जिम्मेदार मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्रियों को बर्खास्त कीजिए"।

अश्वनी बडगैया अधिवक्ता

स्वतंत्र पत्रकार

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