खरी-अखरी (सवाल उठाते हैं पालकी नहीं): राजनीतिक बयानबाजी से परहेज करना चाहिए महामहिम को
महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने एकबार फिर सामान्य एवं निम्न तबके से आने वाली महिलाओं के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया है। देश की प्रथम नागरिक श्रीमती मुर्मू ने पीटीआई से चर्चा करते हुए कोलकाता (गैर भाजपा शासित प्रदेश) में महिला डाक्टर के साथ हुए बलात्कार और हत्या की घटना पर दुख और गुस्सा जताते हुए कहा कि वे स्तब्ध और भयभीत हैं। उन्होंने कोलकाता में किये जा रहे प्रदर्शन और अपराधियों के बेख़ौफ़ घूमने का जिक्र किया। महामहिम के विचारों से कोई असहमति नहीं है। मगर राष्ट्रपति ने एकबार फिर भाजपा शासित राज्यों में मासूम बच्चियों से लेकर उम्रदराज महिलाओं के साथ हर दिन हो रहे बलात्कार, हत्या, यौन दुराचार पर ठीक उसी तरह चुप्पी साध ली जैसे उन्होंने सदन में दिए गए अभिभाषण से साधी थी।
मणिपुर में कुकी-जोभी समुदाय की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर जुलूस निकाला गया, उनके साथ यौन दुराचार किया गया। यह मामला अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बना, कई मंचों पर इसकी गूंज सुनाई दी। देश के चारों खूंट से आग्रह किया गया कि वे इस मामले में कुछ बोलें मगर महामहिम और उनकी सरकार के मुखिया (प्रधानमंत्री) ने मुंह में ताला रखा था। आदिवासी नेता हेमंत सोरेन ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर आग्रह पूर्वक कहा था कि क्रूरता के सामने चुप्पी एक भयानक अपराध है। न केवल मणिपुर बल्कि पूरा देश इस संकट की घड़ी में आपको अंतिम आशा और प्रेरणा स्त्रोत के रूप में देख रहा है, जो एक रोशनी दिखा सकता है। मगर देश का दुर्भाग्य है कि महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी।
दुनिया भर में देश का नाम रोशन करने वाली महिला पहलवानों ने जब भाजपा सांसद और राष्ट्रीय कुश्ती एसोसिएशन के अध्यक्ष के द्वारा किये गये यौन उत्पीड़न के खिलाफ़ जांच कर वैधानिक कार्रवाई किये जाने को लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर एकत्रित होकर अपनी आवाज उठाई, दिल्ली की पुलिस द्वारा उन महिला पहलवानों के साथ अमानवीय व्यवहार करते हुए सड़कों पर घसीटा गया, मारा-पीटा गया। महिला पहलवान भी श्रीमती मुर्मू की ओर आशा भरी निगाह से देख रही थीं तब भी श्रीमती द्रौपदी अंध-मूक-बधिर बनी रहीं । बिलकिस बानों के बलात्कारियों को समय से पहले रिहा करने और भाजपाईयों द्वारा उनका सेलेब्रिटी की तरह फूल-मालाओं से स्वागत करने की शर्मनाक घटना पर भी श्रीमती मुर्मू आंखें बंद कर मौन बनी रहीं।
_अब ऐसा क्या हो गया कि महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को भय और निराशा का अहसास होने लगा है_
12 साल पहले 2012 में दिल्ली में हुए बलात्कार की आंच से मनमोहन सिंह की सरकार 2014 में हुए चुनाव में वापसी नहीं कर सकी थी। मगर तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने ऐसे ओंठ नहीं सिले थे जैसे वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सिल रखें हैं। बीजेपी के इन 11 सालों के शासनकाल में कठुआ, हाथरस, उन्नाव, मणिपुर, मुजफ्फरपुर, उधमसिंह नगर, मुंबई, उड़ीसा (जहां से खुद महामहिम आती हैं), रोहतक, शहडोल, सागर, अरुणाचल प्रदेश, दिल्ली जैसे अनेक स्थानों पर रेप - हत्या की घटनाएं घटित हुई हैं। 2022 की एससीआरबी की रिपोर्ट कहती है कि देश में हर 16 मिनट में एक बलात्कार की घटना हो रही है। देश की हर बच्ची - महिला भयग्रस्त है।
महामहिम महोदया ने जैसे सवालों को पूछने की जरूरत समाज को बताई है क्या वे वैसे ही सवालों के जवाब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से पूछ सकती हैं ? क्या वे पीएम मोदी को एकबार मणिपुर जाने के लिए कह सकती हैं ? जाहिर है वे ऐसा नहीं कर सकतीं न ही उनसे ऐसी कोई उम्मीद है।
मणिपुर की पीड़िताओं का दर्द भाजपा की राजनीति के माकूल नहीं है। पश्चिम बंगाल की घटना को भाजपा ने महिलाओं की सुरक्षा और इंसाफ से बड़ा मुद्दा बनाकर ममता बनर्जी के खिलाफ सियासी हथियार बना लिया है जिससे शायद 2026 के विधानसभा चुनाव में जीत मिल सके ! यूपी, राजस्थान, मध्यप्रदेश सहित कई भाजपा शासित प्रदेश हैं जो कुख्यात अपराधियों की शरण स्थली बने हुए हैं। यूपी, राजस्थान, मध्यप्रदेश की भाजपा सरकारों द्वारा न्यायिक न्याय को दफन कर बुलडोजर न्याय किया जा रहा है वह भी धर्म और जाति देखकर। इस पर राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू की कभी कोई प्रतिक्रिया नहीं आती है ।
2024 में जिस तरह से लोकसभा के चुनाव परिणाम भाजपा की आशाओं के विपरीत आये हैं और अपनी पार्टी के संसदीय दल के नेता चुने बिना नरेन्द्र मोदी बैसाखियों के सहारे प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे हुए हैं वह मोदी और भाजपा के गिरते ग्राफ की कहानी बताने के लिए पर्याप्त है। लगता तो यही है कि महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू का बयान भाजपा के पैरों तले से खिसकती जमीन और पीएम नरेन्द्र मोदी की क्षय होती लोकप्रियता को टेका देने के लिए राजनैतिक बयान से ज्यादा कुछ नहीं है, क्योंकि भाजपा शासित प्रदेश की घटनाओं पर मौन रहने वाली राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने गैर भाजपा शासित प्रदेश पश्चिम बंगाल का नाम आते ही अपनी चुप्पी तोड़ी है।
अश्वनी बडगैया अधिवक्ता
_स्वतंत्र पत्रकार_
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