किन राज्यों के पास है विशेष राज्य का दर्जा, जानें इससे क्या होता है फायदा

Special Category Status State: लोकसभा चुनावों के रिजल्ट आने के बाद अब भारत में बिहार और आंध्रप्रदेश को विशेष राज्य बनाने को लेकर खबरें तेज हैं। चलिए जानते हैं क्या होते हैं विशेष राज्य बनाने के फायदे।


Special Status State: भारत में हाल ही में 18वीं लोकसभा के चुनाव पूरे हुए हैं. जिसमें एनडीए गठबंधन को एक बार फिर से बहुमत मिली है. एनडीए गठबंधन को 292 सीट मिली है तो वहीं इंडिया गठबंधन को 240. पिछली बार जहां भाजपा को अकेले ही बहुमत मिल गया था लेकिन इस बार सहयोगी दलों के सहयोग से सरकार बनानी पड़ रही है।

जिसमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड और आंध्रप्रदेश के चंद्रबाबू नायडू की तेलुगु देशम पार्टी का बड़ा योगदान है. इसी बीच अब इन दोनों राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने के आसार नजर आ रहे हैं. क्या होते हैं विशेष राज्य बनाने के फायदे. कैसे मिलता है विशेष राज्य का दर्जा. भारत में फिलहाल कितने राज्यों को प्राप्त है यह दर्जा।

कब हुई थी शुरूआत?

भारत में विशेष श्रेणी राज्य के दर्जा सन 1969 में पांचवें वित्त आयोग के अध्यक्ष महावीर त्यागी ने गाडगिल फार्मूले के आधार पर तय किया था. इसके तहत असम, नगालैंड के साथ जम्मू और कश्मीर इन इन तीन राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया था. गाडगिल फार्मूले के अनुसार इसका आंकलन करने में सामाजिक, आर्थिक और भौगोलिक परिस्थितियों को मद्देनजर रखा गया था. भारत के राष्ट्रीय विकास परिषद ने विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए कुछ मापदंड तैयार किए थे।

जिनमें राज्य की प्रति व्यक्ति आय, उसकी आमदनी का स्रोत, राज्य का इलाका कैसा है पहाड़ी है, दुर्गम है, जनसंख्या कितनी है. इसके साथ ही कुछ अन्य और मानकों के आधार पर दर्ज दिया गया है. भारतीय संविधान की धारा 371 के तहत किसी राज्य के लिए विशेष प्रावधान किए जाते हैं. जिसके तहत उसे विशेष श्रेणी का दर्जा दिया जाता है।

क्या होते हैं इसमें फायदे?

जब किसी राज्य को विशेष श्रेणी का दर्जा मिलता है. तब उस राज्य को बहुत सारे लाभ होते है. केंद्र सरकार की ओर से उसे राज्य को विशेष छूट दी जाती है. इसके साथ ही अन्य राज्यों के मुकाबले में ज्यादा अनुदान दिया जाता है. सरकार के बजट का कुल 30% हिस्सा इन्हीं राज्यों पर खर्च किया जाता है. इन राज्यों को दी जाने वाली राशि अगर एक साल में खर्च नहीं होती. तो अगले साल के लिए कैरी फॉरवर्ड हो जाती है. वहीं सामान्य राज्यों में ऐसा होता है. अगर वहां राशि खर्च नहीं होती तो वह राशि लैप्स हो जाती है. यानी उसे आगे नहीं ले जा सकते।

इन राज्यों के पास है विशेष श्रेणी के राज्य का दर्जा

भारत में फिलहाल 11 राज्यों के पास विशेष श्रेणी के राज्य का दर्जा हासिल है. इन राज्यों में अधिकतर राज्य पूर्वोत्तर के हैं. जिनमें मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, सिक्किम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और असम है. तो वही पहाड़ी राज्यों में उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश शामिल है


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