केंचुआ और सुको की चौखट पर दम तोड़ रहा लोकतंत्र

 

खरी - अखरी। संभवतः 2024 का लोकसभा चुनाव ऐसा पहला और आखिरी चुनाव होगा जिसमें हर दिन नित नए सिरे से लोकतंत्र की दुहाई देकर तंत्र के द्वारा लोक (जन) का बेरहमी से बलात्कार किया जा रहा है। लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव कराने (केंचुआ) और उस पर चैक एंड बैलेंस की जवाबदेही (सुको) रखने वाली संवैधानिक संस्थायें अस्तित्वहीन दिखाई दे रहीं हैं। तभी तो रिटर्निग आफीसर नंगा नाच नाच रहे हैं। चंडीगढ़ की धरती में उगे असंवैधानिक पौधे की कलम अलग - अलग तरीके से बेशरम पौधे की माफिक फैल कर लोकतांत्रिक व्यवस्था का गला घोंटती दिख रही है। आजाद हिन्दुस्तान के इतिहास में शायद यह मौका है जब केंचुआ प्रधानमंत्री के आगे रीढ़ विहीन मृतप्राय पड़ा हुआ है जिसे ना सुनाई देता है ना ही दिखाई देता है। वह तो उस खिलौने की माफिक उतना  ही चलता है जितनी चाबी भरी राम ने। इतना लाचार, निरीह तो इंदिरा गांधी के समय में भी नहीं था केंचुआ जिसे तानाशाह तक कहा गया है।

अभी कुछ दिन पहले ही सलेक्टेड न्यूज एंकरों ने मोदी के इंटरव्यू को दिखाया है जिसमें पीएम नरेन्द्र मोदी यह कहते हुए दिखाई दे रहे हैं कि "मैं जिस दिन हिन्दू - मुसलमान करूंगा उस दिन मैं सार्वजनिक जीवन में रहने योग्य नहीं रहूंगा" मगर किसी ने भी पीएम नरेन्द्र मोदी के पिछले एक भी कथन की क्लिप नहीं चलाई जिसमें पीएम मोदी हिन्दू - मुसलमान, मछली, मंगलसूत्र आदि का चालीसा पढ़ रहे हैं। वैसे बिकाऊ, चरनचाटू मीडिया के दोगलेपन का नग्न चरित्र - चित्रण खुद पीएम नरेन्द्र मोदी दूसरे दिन ही हिन्दू - मुसलमान, मछली, मंगलसूत्र आदि का तोता रटंती पहाड़ा पढ़कर कर रहे हैं। बेचारे मोदी नाम जप करने वाले मीडिया घराने के एंकर एंकरनियों की हालत किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रह जाती है। डिक्शनरी में ऐसा कोई शब्द नहीं है जिसे हद से बेहद तक गिर चुके केंचुआ और मीडिया के लिए इस्तेमाल किया जा सके।

चंडीगढ़ में मेयर के चुनाव में वोटों में हेराफेरी, खजुराहो (मध्यप्रदेश) में कैंडीडेट का साजिशन नामांकन खारिजी, सूरत (गुजरात) में प्रस्तावकों के फर्जी हस्ताक्षर का हलफनामा, इंदौर (मध्यप्रदेश) में प्रत्याशी की नाम वापिसी के बाद वाराणसी (उत्तरप्रदेश) जहां से खुद पीएम नरेन्द्र मोदी चुनाव मैदान में हैं वहां किसी दूसरे को नामांकन परचा ही भरने नहीं दिये जाने की खबरें भले ही भाजपा, केंचुआ, सुको आदि पर कोई असर ना डाल रही हो परंतु देशवासियों और वह भी उनको जिन्हें संविधान और लोकतंत्र में आस्था है उन्हें शर्मसार कर रही है । सब कुछ सोशल मीडिया में लाइव वायरल होने तथा चुनाव आयोग को शिकायतें करने के बाद भी केंचुआ के मरणासन्न देह पर हरकत ना होना साथ ही सब कुछ देखने सुनने के बाद भी सुको का स्वसंज्ञान ना लेना इस बात का संकेत है कि संवैधानिक संस्थाओं का प्राणांत हो चुका है और जनतंत्र इनकी चौखट पर दम तोड़ रहा है। चुनाव का परिणाम चाहे जो - जैसा भी हो इतना तो तय हो गया है कि नरेन्द्र मोदी और उनकी भाजपा नैतिक रूप से चुनाव हार चुकी है। अब तो बाकी है सत्ता की हवस पूरी करने के लिए स्तरहीन आचरण की लड़ाई।

वाराणसी (उत्तर प्रदेश) संसदीय क्षेत्र से आ रही खबरें बता रही हैं कि वहां 6 मई (नामांकन की शुरूआत) से 14 मई (नामांकन का अंतिम दिन) तक चुनाव लड़ने वालों को नामांकन परचा तो दूर नामांकन परचा देने के पहले भरा जाने वाला चालान तक देने के लिए तरसाया जाता रहा है। खबरें बताती हैं कि वाराणसी से लोकसभा चुनाव लड़ने की लालसा लिए मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु तक से लोगों का हुजूम पहुंचा था। बताया जाता है कि अगर रिटर्निग आफीसर ने नियमानुसार निष्पक्षता के साथ चाल चली होती तो कमतर डेढ़ हजार से अधिक नामांकन फार्म जमा होते। वाराणसी जहां से भाजपा कैंडीडेट नरेन्द्र मोदी ने परचा दाखिल किया है वहां से मसहूर विदूषक (कामेडियन) श्याम रंगीला भी अपना परचा भरने पहुंचे थे मगर दो-तीन दिन भटकने के बाद भी उनका परचा नहीं लिया गया। इस संबंध में श्याम रंगीला का यह ट्यूट वायरल हो रहा है जिसमें वे कह रहे हैं कि "लोकतंत्र का गला घुटते हुए अपनी आंखों से देखा है। मैं नेता नहीं कामेडियन हूं फिर भी नामांकन दाखिल करने निकला, सोचा जो होगा देखा जायेगा लेकिन ये जो हो रहा है ना तो सोचा था ना देखा जा रहा। प्रस्तावक भी थे, फार्म भी भरा हुआ था, बस लेने कोई तैयार नहीं था"।

हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय महासचिव देवेन्द्र पाण्डेय ने एक यूट्यूब न्यूज चैनल से चर्चा करते हुए आरोप लगाया है कि जो लोग नरेन्द्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ना चाहते हैं उन्हें नामांकन फार्म नहीं दिये जा रहे हैं। उन्होंने इस कृत्य को लोकतंत्र का गला घोंटना निरूपित किया है । पाण्डेय ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि वाराणसी धर्म - ज्ञान - मोक्ष की नगरी है मगर यहां पर धर्म - ज्ञान - मोक्ष के मायने बदल कर गजनी - बाबर - ओसामा बिन लादेन कर दिए गए हैं। सारे बनारस में भय मिश्रित वातावरण पसरा पड़ा है। देवेन्द्र ने चुनाव आयोग की कथनी और करनी पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि राष्ट्रीय पर्व पर एक ओर तो अधिकाधिक मतदान करने की अपील की जा रही है वहीं दूसरी ओर चुनाव लड़ने वालों को नामांकन परचा तक दाखिल करने से रोका जा रहा है। नरेन्द्र मोदी का नाम लिए बिना एक सवाल के जवाब में देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा कि अगर एक चाय बेचने वाला पहली बार चुनाव जीत कर मुख्यमंत्री बन सकता है तो अपने आतातायी कृत्यों के चलते वह चुनाव हार भी सकता है। हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय महासचिव देवेन्द्र पाण्डेय ने भाजपा कैंडीडेट नरेन्द्र मोदी पर तीखा हमला करते हुए कहा कि यदि निर्वाचन आयोग निष्पक्ष, मीडिया गोदी से उतर कर ईमानदार हो जाय, मशीन की हैकिंग, अधिकारियों का पक्षपाती रवैया, मीडिया की गलतबयानी रुक जाय, तो राष्ट्रीय और राज्यीय पार्टी के कैंडीडेट के बिना भी पद, पैसा, प्रतिष्ठा विहीन अनजान आम आदमी को भी वाराणसी का वोटर चुनाव जिता देगा यहां तक कि मोदी की जमानत भी जप्त हो सकती है।

अश्वनी बडगैया अधिवक्ता

स्वतंत्र पत्रकार

No comments

Powered by Blogger.