मेडिकल कॉलेज का जिन्न आया बाहर

कटनी। चुनाव के पहले ही भाजपा और इंडिया गठबंधन की साझेदार समाजवादी पार्टी से सब कुछ सैट हो जाने के बाद अब भाजपाई कैंडीडेट विष्णुदत्त शर्मा को कौन सा डर सता रहा है कि एकबार फिर कटनी जिले के मतदाताओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने का गंदा खेल खेलने की तैयारी की जा रही है वह भी पिछलग्गू मीडिया के पीछे छिप कर।

कटनी की जनता सालों से कटनी में शासकीय मेडिकल कॉलेज खोले जाने की मांग करती चली आ रही है। विधानसभा चुनाव के पहले साल भर नगर के कुछ संगठनों ने अपने - अपने तरीके से शासकीय मेडिकल कॉलेज खोले जाने की मांग को लेकर सड़कों पर उतर कर धरना-प्रदर्शन - मशाल जुलूस - शहर बंद करने तक के आंदोलन किये मगर भाजपा संगठन, विधायक संदीप जायसवाल, सांसद विष्णुदत्त शर्मा से लेकर शहर में आकर हर बार घोषणाओं का पिटारा खोलने वाले घोषणा वीर तात्कालिक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने नाक-कान-मुंह बंद रखे।

ऐन विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने के चंद घंटे पहले एक पत्र जारी किये जाने का शिगूफा छोड़ा गया जो कटनी में पीपीपी माडॅल का मेडिकल कॉलेज खोलने और उसके लिए जमीन खोजने से संबंधित था। यह अलग बात है कि दल विशेष की गुलामियत के चलते विधानसभा चुनाव में अपनी तमाम नकारात्मकता के बावजूद संदीप जायसवाल ने लगातार तीसरी बार ऐतिहासिक जीत दर्ज कर इतिहास बनाया।

जन चर्चाओं में कहा जाता है कि संदीप जायसवाल की जीत की पटकथा तो उसी दिन लिख गई थी जब कांग्रेस ने पिछली विधानसभा के पराजित उम्मीदवार मिथिलेश जैन को उम्मीदवार घोषित किया था। कटनी की राजनीति पर बारीक नजर रखने वालों का तो यहां तक मानना है कि जैन को दूसरी बार भी टिकिट दिलवाने में संदीप की भी भूमिका रही है वरना संदीप की पराजय तय थी।

वैसे भी देखा जा रहा है कि नगर विकास को पलीता लगाने में भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियां बराबर की जिम्मेदार हैं। केवल जनता की आंखों में धूल झोंकने के लिए दोनों नूरा कुश्ती लड़ते हुए कड़वा - कड़वा थू मीठा - मीठा गप्प करती रहती हैं। बाकी पार्टियां तो लगभग - लगभग अस्तित्वहीन सी हैं। नगरवासियों की मुर्दानगी भी ऐसी पार्टियों की आवाज को नक्कारखाने में तूती की आवाज़ बनाकर रख देती है।

हां तो बात है आम चुनाव में खजुराहो लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी विष्णुदत्त शर्मा की जो चुनौती विहीन मैदान में हैं। इंडिया एलायंस के कैंडीडेट का परचा जुगलबंदी रणनीति के तहत खारिज हो गया है। अब इंडिया गठबंधन ने जुगलबंदी उजागर हो जाने की कालिख धोने के लिए निर्दलीय (फारवर्ड ब्लाक) के उम्मीदवार को समर्थन देने की घोषणा की है मगर मतदाता कहां तक सांसद विष्णुदत्त शर्मा के पांच साला उपेक्षात्मक रवैये से छुटकारा पाने की मानसिकता बना पाता है या फिर वही खूंटे से बंधी गुलामियत को आगामी पांच साल के लिए खुद को बांधता है इसका खुलासा तो 4 जून को परिणाम घोषित होने पर ही चलेगा।

मगर भाजपा द्वारा एकबार फिर से कटनी में मेडिकल कॉलेज खोले जाने के जिन्न को बोतल से बाहर निकाल दिया गया है। पिछले दो दशक से ट्रिपल इंजन की सरकार होने के बावजूद शहर की ऐतिहासिक ईमारतों, शिक्षा संस्थानों को नेस्तनाबूद करने की साजिशें - कोशिशें की जा रही है और शहरवासी कुंभकर्णी निद्रा में डूबे हुए हैं।

भाजपा को जब विधानसभा चुनाव में मेडिकल कॉलेज का झुनझुना बजाए बिना जीत मिल सकती है तो लोकसभा चुनाव में भी मिल सकती है या यूं कहें कि मिल चुकी है फिर भी वो तो भाजपाई बडप्पन है कि वह कटनी जिले की जनता को नाचने के लिए मेडिकल कॉलेज का डमरू बजा रही है। कमलाजान हिजड़ा जैसी जीत का चमत्कार होते तो फिलहाल दिखाई नहीं दे रहा है।

अश्वनी बडगैया अधिवक्ता

स्वतंत्र पत्रकार

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