_मतदाताओं को निरा मूरख और अपना बंधुआ मजदूर समझ कर कह रहे हैं परीक्षा में फेल हुए नाकाबिल को पास कर दो वह भी मेरिट में_
जन आवाज। कटनी/ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष के बीच सब कुछ तय हो जाने के बाद भी भाजपा के प्रचारकों में शामिल अमित शाह ने गत दिवस कटनी जिले की विजयराघवगढ़ विधानसभा की कस्बाई बस्ती बरही में खजुराहो लोकसभा क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले कटनी, पन्ना, छतरपुर जिले की आठ विधानसभाओं के विकास को पिछले पांच सालों में पलीता लगाने वाले विष्णुदत्त शर्मा नामक व्यक्ति को एकबार फिर सांसद चुन कर दिल्ली भेजने की गुहार लगाने चुनावी सभा की। चूंकि अमित शाह के पास अपने दस साला शासन सहित अपने सांसद सह प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा की पांच साला उपलब्धि के नाम पर कोई करनी करतूत तो है नहीं मतलब निल बटे सन्नाटा है तो फिर मरता क्या न करता वही धारा 370, राम मंदिर, तीन तलाक का घिसा पिटा कैसेट बजाते रहे।
आईने की तरह साफ दिखाई दे रहा है कि मोदी की पूरी टीम देशवासियों को मंहगाई, बेरोजगारी, गरीबी जैसे सवालों का जवाब देने के बजाय बगलें झांकते हुए लकवाग्रस्त कांग्रेस का भुतहा चेहरा और 24 साल बाद का सपना दिखाना शुरू कर देती है। देश की जनता को निरा मूरख और जर खरीद गुलाम समझ कर बेशर्मी की सारी हदें पार करते हुए तीसरे टर्म की याचना करते रहते हैं। कांग्रेस और दूसरे दलों के घोटालेबाजों को जेल भेजने की बात करने वाली मोदी - शाह एंड कंपनी खुद के द्वारा जारी किए गए असंवैधानिक इलेक्टोरल बांड्स वाले दुनिया के सबसे बड़े घोटाले, पीएम केयर फंड का नाम लेने से भी थरथराती रहती है ।
बरही में भाषण देते हुए अमित शाह ने मुफ्त शौचालय की बात तो की मगर शौचालय साफ रखने के लिए पानी की अनुपलब्धता की बात करना भूल गए। चिकित्सा योजना के तहत लाभान्वित हितग्राहियों का जिक्र तो किया लेकिन इसकी आड़ में किये गये लाखों के भृष्टाचार पर चुप्पी साध ली। करोना काल में लगाये गये टीकों की संख्या तो बताई मगर करोना काल में मारे गए लाखों लोगों से आंखें मूंद ली यहां तक कि गंगा में तैरती मिली लाशों की संवेदना में उनके मुंह से एक शब्द तक नहीं निकला। मुफ्त में दिए जा रहे 5 किलो अनाज की बात तो बताई परन्तु वे आत्मनिर्भर होकर सम्मान के साथ अपनी रोजी-रोटी कमाकर अपना, अपने परिवार का पालन-पोषण कैसे कर सकेंगे इसका जिक्र तक नहीं किया।
मानसिक रूप से गुलामियत के दायरे में लाये जा चुके अंध अनुयायियों से 400 पार - 400 पार की तोता रटंत करवाने वाले नोटबंदी की असफलता, 15 लाख के जुमले, कालाधन की सफेदी, गिरता रुपिया चढता डालर से गिरती हुई प्रधानमंत्री पद की गरिमा, पुलवामा कांड की जांच, आन्दोलनों के दौरान किसानों की हत्या - आत्महत्या, स्विस बैंक खातों में जमा काला धन, देश का नाम विश्व पटल पर रोशन करने वाली महिला पहलवानों के साथ किये गये यौन शोषण पर न्याय पाने की मांग करने पर गई ज्यादतियों, मणिपुर में महिलाओं के साथ की गई अमानवीय हरकतों पर जुबान बंद कर लेते हैं आखिर क्यों ?
कहता है भारत......
_माँ का दूध पिया है तो, सच बोल के देख_
_दुनियाँ देखी नहीं तो, आँखें खोल के देख_
_जज लोया की तरह, हाथ में पकड़ तुला_
_सच और झूठ के पल्ले, तू भी तौल के देख_
अश्वनी बडगैया अधिवक्ता
स्वतंत्र पत्रकार
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