हर नागरिक वंचित है इन तीन मूलभूत सुविधाओं से
कटनी। हर भारतीय नागरिक को स्वास्थ्य, शिक्षा और पानी लेने का अधिकार है, और सरकार को यह तीन चीजें मुफ्त मुहैया कराना चाहिए। लेकिन हर नागरिक इन सुविधाओं को पाने से वंचित है। प्रकृति द्वारा दिए जाने वाला पानी की कीमत चुकानी पड़ती है। और इसके लिए राज्य से लेकर केंद्र सरकार तक हर भारतीय नागरिक से शुल्क वसूल कर कुदरत द्वारा दिए जाने वाले मुफ्त के पानी को बेचने में लगी है।
बात यदि स्वास्थ्य की करें तो आज के समय में गरीब इंसान बीमारी से कहीं ज्यादा महंगे स्वास्थ्य की मार से मर रहा है। सरकारी अस्पताल का इलाज तो जैसे भगवान भरोसे ही चल रहा है.? यही वजह है कि आज प्राइवेट हॉस्पिटल के नाम पर बड़ी-बड़ी ऊंची इमारतें फाइव स्टार होटल टाइप खोल दी गई है जिसका फायदा डॉक्टर अपनी कमाई का जरिया बनाकर उठा रहे हैं। ऊंची इमारत वाले डॉक्टर को अच्छा स्वास्थ्य देने से मतलब हो या ना हो लेकिन मरीज को नोट छापने की मशीन समझकर उनका खून चूस लेना उनके पेशे में शामिल हो चुका है..? लेकिन सरकार महंगे इलाज पर लगाम लगाने की जगह लाभ अर्जित कराने में लगी हुई है।
अब बात यदि शिक्षा की करें तो एक समय था जब सरकारी स्कूलों से पढ़कर निकलने वाले छात्र उस मुकाम तक पहुंचते थे जहां आज प्राइवेट स्कूलों से पढ़ कर निकलने वाले नहीं पहुंच पाते। लेकिन विडंबना यह है कि सरकार की अनदेखी के चलते सरकारी स्कूल की बिल्डिंग जर्जर हालत में होती है तो वहीं दूसरी ओर पढाने वाले शिक्षक के कारनामे आए दिन मीडिया की सुर्खियां बने रहते हैं। यही वजह है कि आज प्राइवेट स्कूल शिक्षा के नाम पर अभिभावकों की जेब काटने में लगे हुए हैं। यहां तक कि शिक्षा के अधिकार के तहत सरकार द्वारा मिलने वाली सुविधा भी उन छात्रों से छीनी जा रही है जो छात्र उस सुविधा के हकदार हैं। मध्य प्रदेश के कटनी जिले की बात करें तो प्राइवेट स्कूल सरकारी स्कूलों को उस मुहाने पर लाकर खड़ा कर दिए हैं जहां पर मुफ्त और बेहतर शिक्षा मात्र एक सपना बनकर रह गई है।
गौरतलब है कि विगत दिनों कटनी के पुरैनी स्थित वेल वेदर इंटरनेशनल स्कूल ने उन छात्र-छात्राओं की शिक्षा पर डाका डाला जो उन्हें सरकार के नियमों के अनुसार मुफ्त मिलनी चाहिए थी। लेकिन वेल वेदर इंटरनेशनल स्कूल के संचालक उन गरीब छात्रों से उनका हक छीन कर अभिभावकों को लुटने के लिए मजबूर कर दिया। आलम यह है कि अभिभावक अपना पेट काटकर बच्चों को पढ़ने के लिए वेल वेदर इंटरनेशनल स्कूल के मालिक का पेट भरने के लिए मजबूर हो गए..? ऐसे तमाम स्कूल है जो बेहतर शिक्षा के नाम पर अभिभावकों से मोटी - मोटी रकम वसूलने में लगे हुए हैं। इतना ही नहीं शिक्षा सत्र आते ही प्राइवेट स्कूलों की गली, चौराहों में पंपलेट, पोस्टर, बैनर नजर आने लगते हैं। और आम जनता को बेहतर शिक्षा देने के नाम पर मन लुभावन वाले स्लोगन का दाना डालकर जाल फैलाकर शिक्षा का मंदिर कहे जाने वाले स्कूल नुमा दुकानों में फसाने का सिलसिला शुरू हो जाता है.?
आपको बता दें कि जैसे ही अभिभावक इनके बिछाए हुए स्कूल जाल में फसता है लूटने और लुटने का सिलसिला शुरू हो जाता है। प्रवेश के नाम पर डोनेशन यानी चंदा और हर महीने की फीस के अलावा कॉपी, किताब और यूनिफॉर्म के दुकानदारों से दलाली का क्रम निरंतर जारी रहता है। स्कूल संचालक को मोटा कमीशन देने के नाम पर यह दुकानदार सीधे अभिभावक की जेब पर डाका डालते हैं। एक ओर जहां अभिभावक लुटता है, तो वहीं दूसरी ओर दुकानदार और स्कूल मालामाल होते रहते हैं। गरीब और मध्यम परिवार के छात्र छात्राओं को मिलने वाली बेहतर शिक्षा ऊंची फीस के बोझ तले दबकर दम तोड़ रही है.? शासन और प्रशासन को इस ओर ध्यान देने और जिम्मेदारी निभाने की बड़ी आवश्यकता है। जिससे हर वर्ग के छात्र - छात्राओं को बेहतर शिक्षा मिल सके।
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