सुब्रमण्यम स्वामी की कड़वी वाणी, पत्रकारों की कायरता से लोकतंत्र खतरे में - पत्रकारिता कायर बनी रही तो लोकतंत्र खत्म हो जायेगा


अश्वनी बडगैया अधिवक्ता

( स्वतंत्र पत्रकार ) 

कटनी। मोदी को ईकानमी का ई तो छोड़ो ए, बी, सी तक समझ में नहीं आता है । मोदी का कहना कि अर्थव्यवस्था अच्छा कर रही है सबसे बड़ा झूठ है। जीडीपी 7 फीसदी नहीं 4 फीसदी है। बेरोजगारी कम हुई है यह भी झूठ है। मोदी गद्दार है, डरपोक है, नालायक है, देश से झूठ बोलता है, देश को छलता है, धोखा देता है,  फ्राड करता है। चाइना से बहुत डरता है। चाइना के मामले में मोदी हंड्रेड पर्सेन्ट गद्दार है। चाइना ने कोई जमीन नहीं ली, कोई नहीं आया - कोई नहीं गया झूठ बोला जा रहा है। तानाशाही मंशा के सारे लोग सच बताने से डरते हैं फिर चाहे वह हिटलर, स्टालिन, माउत्से तुंग रहा हो या मोदी। इंदिरा और मोदी दोनों की लोकतंत्र में विश्वास, दिलचस्पी, आस्था नहीं है। ये सारी आरोपित शब्दावली भाजपा के पूर्व सांसद व वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी की है जो उनके द्वारा एक इंटरव्यू के दौरान एएए मीडिया चैनल (अजीत अंजुम) की महिला पत्रकार नीलू व्यास से कही गयी । भाजपा में सारे लोग मोदी से डरते हैं इतना सुनते ही उन्होंने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि सारे मत बोलिए मैं नहीं डरता हां ज्यादातर लोग डरते हैं। सुब्रमण्यम स्वामी ने सीधे तौर पर मीडिया पर आरोप लगाते हुए कहा कि पत्रकारों की कायरता से लोकतंत्र खतरे में है। यदि पत्रकारिता कायर बनी रही तो लोकतंत्र खत्म हो जायेगा। स्वामी ने साफतौर पर कहा कि वे नहीं चाहते कि 2024 के आम चुनाव के बाद मोदी प्रधानमंत्री बने। मैं मोदी को प्रधानमंत्री नहीं बनने देने के लिए प्रयास करूंगा। पब्लिक से भीअपील करूंगा।

सवाल यह है कि सुब्रमण्यम स्वामी इतने गंभीर आरोपित वाक्यों का उपयोग मोदी के लिए कर कैसे पाये ? स्वामी के पास मोदी की ऐसे कौन से राज हैं कि वे स्वामी के घर ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स वालों को भेजना, पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाना तो दूर स्वामी को आंख तक नहीं दिखा पा रहे हैं। अपने इंटरव्यू में चाइना को लेकर स्वामी ने मोदी को गद्दार कहा है तो कहा जा सकता है कि चाइना से स्वामी और मोदी का इस तरह गहरा नाता है कि दोनों का चाइना आना जाना होता रहा है। तो क्या चाइना के पास मोदी का कोई राज है और उसकी जानकारी स्वामी को है। स्वामी का यह कहना कि यदि मैंने अभी मुंह खोला तो पार्टी का नुकसान होगा। स्वामी की राष्ट्र भक्ति पर भी सवालिया निशान लगाता है। क्या स्वामी के लिए देश से ज्यादा महत्वपूर्ण पार्टी है ?


     वर्तमान से आंखें चुराता बजट

 वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन ने मोदी सरकार का अंतिम अंतरिम बजट पेश किया। बजट को अगर एक लाइन में पारिभाषित करना हो तो यही कहा जा सकता है कि "घर में नहीं दाने अम्मा चली भुनाने"। वर्तमान की हकीकत को छोड़कर 23 साल आगे का सपना दिखाया गया है। जिस देश में आज 81 हजार करोड़ जनता भुखमरी से निजात पाने के लिए 5 किलो सरकारी अनाज मुफ्त में लेने के लिए लाइन में लगी हुई है - मतलब साफ है कि वह राशन, खरीदने तक की औकात नहीं रखती, बेरोजगारी, मंहगाई सबसे ऊंचे स्तर पर है, एक पद के लिए हजार आवेदन आते हैं उससे जनता का ध्यान भटकाने के लिए दो दशक आगे का रंगीन स्वप्न (विकसित भारत) दिखाया जाना निंदनीय ही कहा जायेगा।

पिछले दस सालों में महामहिम राष्ट्रपति के अभिभाषणों पर नजर डालें तो देखने में यही आता है कि साल दर साल महामहिम द्वारा अपनी सरकार की जो सूरत दिखाई गई वह भोंथरी ही साबित हुई है या यूं कहा जा सकता है कि आगे साफ पीछे सपाट। 2015 में महामहिम राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में 2019 तक गंगा को पूरी तरह स्वच्छ करने के लिए नमामि गंगे की घोषणा की हकीकत यह है कि आज तक "राम तेरी गंगा मैली" है। नौकरियां सृजित करने के लिए मेन्युफेक्चरिंग क्षेत्र में काम करने के लिए लिये कहा गया। हकीकत यह है कि आज बेरोजगारी अपने शिखर पर है। सागरमाला परियोजना आज भी सुस्त चाल ही चल रही है।

2016 में नगरीय विकास की परिकल्पना करते हुए स्मार्ट सिटी कार्यक्रम शुरू करने का वादा किया गया। हकीकत यह है कि आज भी स्मार्ट सिटी अपने अस्तित्व में आने की बाट जोह रही हैं। 2017 में कहा गया कि मेरी सरकार ने कालाधन,भृष्टाचार, जाली मुद्रा और आतंक के वित्त पोषण की बुराइयों से निपटने के लिए 08 नवम्बर 2016 को पांच सौ और एक हजार के नोट बंद किए हैं। हकीकत यह है कि बंद किए गए 99 फीसदी नोट वापिस लौटे। कालाधन, जालसाजी, आतंकवाद का खात्मा होना तो दूर कम तक नहीं हुए। मतलब विमुद्रीकरण अपने उद्देश्य में विफल रहा है।

2018 के अभिभाषण पर नजर डालें तो कहा गया कि देश में विश्व स्तरीय रेलवे निर्माण किया जाएगा। पहले कदम के रूप में 2022 के अंत तक मुम्बई से अहमदाबाद तक हाई स्पीड बुलेट-ट्रेन चलाने का लक्ष्य रखा गया। हकीकत यह है कि बुलेट-ट्रेन आज भी सपना बनी हुई है। अब 2027 तक कार्य पूरा होने की बात की जा रही है। वहीं लागत भी बढ़कर 1.08 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है। 2019 में महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती मनाने के अवसर पर देश के हर कोने को स्वच्छ करने की जिम्मेदारी ली गई थी मगर हकीकत यह है कि आज भी देश का कोना कोना गंदगी और कचरे से पटा पड़ा है।

2019 में महामहिम ने कहा था कि मेरी सरकार 2022 तक किसानों की आय को दुगना करेगी। मगर हकीकत इसके उलट ही है। आंकड़ों पर विश्वास किया जाय तो 2022 में हर दिन कृषि क्षेत्र से जुड़े 30 लोगों ने आत्महत्या की है। देखा जाए तो साल दर साल पेश किए जाने वाले आम बजट में मतदाता और करदाता दोनों को कल के ही मुंगेरीलाल के सपनों की लोरी सुनाई जाती रही है।

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