क्या बन पायेगी जनता के सपनों के माफिक जगन्नाथ तिराहा- घंटाघर - गर्ग चौराहा सड़क

प्राथमिकता के साथ जरूरत है ट्रांसपोर्ट नगर में सारे ट्रांसपोर्टर्स को शिफ्ट करने की भी

महापौर सूरी के लिए अग्नि परीक्षा से कम नहीं है जगन्नाथ तिराहे से लेकर घंटाघर होते हुए डाॅ गर्ग चौराहे तक के मार्ग चौड़ीकरण और खरपतवार की तरह पसरे पड़े ट्रांसपोर्ट और परचून ट्रांसपोर्टस को शहर से बाहर भेजना।


कटनी। जगन्नाथ तिराहे से लेकर घंटाघर होते हुए डाॅ गर्ग चौराहे तक की सड़क के चौड़ीकरण करने की कवायद करने के लिए पिटारे से जिन्न एकबार फिर बाहर निकल आया है। यह जिन्न इसबार वाकई नगरवासियों के सपने को साकार कर पायेगा या फिर हर बार की तरह रास्ते का कंटक बने भू-माफियाओं, बाहुबलियों और अतिक्रमणकारियों आदि के दबाव में आकर फिर से पिटारे में बंद होकर रह जायेगा । यह तो आने वाला समय बतायेगा लेकिन इतना तो कहा ही जा सकता है कि अभी तक नगरनिगम की कुर्सी सम्हालने वाले समस्त महापौरों में श्रीमती प्रीति सूरी ऐसी पहली महापौर हैं जिन्होंने जगन्नाथ तिराहे से लेकर घंटाघर होते हुए गर्ग चौराहे तक की सड़क के विधिवत निर्माण (सीवर लाइन, सड़क चौड़ीकरण, सीमेंटीकरण/डामरीकरण) को महापौर की कुर्सी सम्हालते ही अपनी प्राथमिकता में रखा गया है।

जगन्नाथ तिराहे से लेकर घंटाघर होते हुए गर्ग चौराहे तक की सड़क का विधिवत निर्माण कराया जाना किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं है। कारण देखने में आया है कि इसके पहले भी दो दशकों तक के सभी महापौरों ने इस सड़क के निर्माण से पल्ला झाड़ कर लत्ता लपेटी ही की है। इतना ही नहीं स्थानीय सांसद, विधायक से लेकर तकरीबन सभी राजनीतिक दलों के बड़भैये से लेकर छुटभैये नेताओं सहित जिम्मेदार अधिकारियों तक ने नगर की जनता की भावनाओं के साथ सालों से खिलवाड़ ही किया है । यह पहली बार नहीं हुआ है जब प्रशासनिक अधिकारियों ने राजस्व अमले के साथ मैदान में जमीन और मकानों की नाप फरोख्त की हो। इसके पहले भी कई बार ऐसी कवायदें की जा चुकी है, मगर हर बार का यही नतीजा रहा है - - "ढाक के तीन पात - मामला ठायं - ठांय फिस्स - जिन्न अनिश्चित काल के लिए पिटारे में बंद" ।

गत दिवस जगन्नाथ तिराहे से लेकर घंटाघर होते हुए डाॅ गर्ग चौराहे तक की सड़क निर्माण में आ रही सबसे बड़ी बाधा सड़क के दोनों तटों पर पसरे वैध - अवैध निर्माण को चिन्हित करने के काम को एकबार फिर अंजाम दिया गया। जिसमें बताया गया है कि चिन्हित किए गए 98 मकानों में से 48 निजी स्वामित्व वाले मकान पाये गये हैं जबकि नजूल की जमीन पर बने मकानों की संख्या 50 है। राजस्व अमले द्वारा वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी भी कराया जाना बताया जा रहा है। इसके बाद सड़क चौड़ीकरण के लिए अधिग्रहित की जाने वाली भूमि का आंकलन कर भूमि का मुआवजा और क्षतिपूर्ति राशि का आंकलन करके गेंद को किक कर नगर निगम के पाले में फेंकी जायेगी। इसके बाद ही शुरू होगा मुआवजा और क्षतिपूर्ति लेने-देने वाला चूहे - बिल्ली का अनटाईम लिमिटेड खेला। जो टाईम लिमिट में सफलतापूर्वक निपटाना महापौर - आयुक्त सहित सभी जिम्मेदारों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा।

बताया जाता है कि सिमिटते - सिमिटते अब सड़क 12 मीटर चौड़ी बनाये जाने की बात कही जा रही है। महापौर श्रीमती प्रीति सूरी के अनुसार जगन्नाथ तिराहे से लेकर घंटाघर होते हुए डाॅ गर्ग चौराहे तक बनने वाली 12 मीटर चौड़ी सड़क बन जाने से राहगीरों को आवागमन में सुविधा होगी। मगर हकीकत यह है कि नगर की जनता को जगन्नाथ तिराहे से लेकर घंटाघर होते हुए डाॅ गर्ग चौराहे तक की सड़क के चौड़ीकरण हो जाने के बाद आवागमन में आशातीत राहत तब तक नहीं मिलेगी जब तक इस पूरे क्षेत्र की मुख्य सड़क से लेकर गली कुलियों तक में कुकरमुत्तों की तरह पसरे ट्रांसपोर्ट और परचून ट्रांसपोर्ट के कुनबे को ट्रांसपोर्ट नगर में शिफ्ट नहीं किया जाता है।

जगन्नाथ तिराहे से लेकर घंटाघर तक की गली कुलियों से लेकर शहर के दूसरे हिस्सों में भी ट्रांसपोर्ट और परचून ट्रांसपोर्ट खरपतवार की माफिक फैले पसरे हैं। इस तरफ भी महापौर को प्राथमिकता के साथ दलगत राजनीति से उठकर बिना किसी दबाव में आये कार्ययोजना बनाकर मूर्तरूप देने हेतु ईमानदारी से पहल करनी होगी। अन्यथा तो फिर सारी कवायद जनता को बेवकूफ़ बनाओ और ढकोसला फैलाओ ही कहा जाएगा।

अश्वनी बडगैया अधिवक्ता

स्वतंत्र पत्रकार

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