महिला सशक्तीकरण का जनाजा निकाल रहे पुरुष प्रतिनिधि!
कटनी। सरकार द्वारा महिला सशक्तीकरण की बड़ी - बड़ी हक्कानी हांकी जाती है मगर जमीनी हकीकत कुछ और बयां करती हुई दिखाई देती है। अगर यह कहा जाय कि ग्राम पंचायत से लेकर नगर निगम तक में जनता द्वारा चुनकर भेजी गई महिला नेत्रियों के सशक्तीकरण का जनाजा निकालते हुए दिखाई देते हैं उनके करीबी मेल जेंडर तो अतिशयोक्ति नहीं होगी । इसमें भी सबसे बड़ा शर्मनाक पहलू यह है कि महिला नेत्रियों के अधिकारों को संरक्षित करने वाले जिम्मेदार सदा कठपुतलियों की माफिक गांधी के बंदरों की भूमिका निभाते दिखते हैं। परिषद की बैठक में पदासीन महिला नेत्रियों से ज्यादा उनके प्रतिनिधि का पट्टा लिए पुरुष मुखर नजर आते हैं। और अगर उनकी पीठ पर सांसद, विधायक का स्नेहिल हाथ हो तो फिर क्या कहने - बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना।
कुछ ऐसी ही खबर आ रही है प्रदेश की धनाढ्य नगर परिषदों में शामिल नगर परिषद कैमोर से। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कैमोर के हृदय स्थल कहे जाने वाले खलवारा बाजार में न तो तरीके का प्रसाधन है और न ही स्वच्छ पीने के पानी की व्यवस्था। जिससे बाजार में आने वाले बच्चे से लेकर बूढ़े खासतौर पर मातृशक्ति को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।
खास बात यह है कि कैमोर में ट्रिपल इंजन की सरकार है। विधायक भी उसी सरकार में भागीदार है फिर भी यदि नागरिक नारकीय पीड़ा भुगतने को मजबूर हो रहा है तो यह मोहन मंडली के चेहरे पर बदनुमा दाग ही कहा जाएगा । बताया जाता है कि परिषद एरिए के इक्का - दुक्का वार्डों को छोड़कर बाकी वार्डों के हालात दयनीय बने हुए हैं। नगरवासियों की माने तो इन हालातों के लिए नगर परिषद अध्यक्ष के अधिकारों का उपयोग कर रहे उनके पुरुष प्रतिनिधि की अनाधिकृत दखलंदाजी जिम्मेदार है। कहा जाता है कि विधायक की गुड बुक में होने की वजह से जिम्मेदार भी किसी तरह की कार्रवाई करने में खुद को असहज महसूस करते हैं।
कहते हैं कि वार्ड नम्बर 4 की पार्षद अपने वार्डवासियों की समस्याओं को हल कराने में बिना वजह लगाई जाने वाली अडंगेबाजी से इतनी त्रस्त हो चुकी है कि वह पार्षदी छोड़ने तक की मंशा का इजहार सोशल मीडिया में करने लगी हैं। मातृशक्ति, महिला सशक्तीकरण का ढिंढोरा पीटने वाली भाजपा सरकार के नये नवेले प्रदेश मुखिया को इस ओर भी नजरें इनायत करनी चाहिए। वरना महिलाओं को गांव सरकार से लेकर प्रदेश सरकार तक में दी गई भागीदारी महिलाओं के साथ छलावा और धोखेबाजी ही कही जायेगी।
वैसे जन आवाज इससे इत्तफाक नहीं रखता कि महिला नेत्रियों के अधिकारों में खलल डालने में विधायक की भूमिका होगी। हां कलेक्टर और परिषद अधिकारी को संज्ञान लेकर पार्षदों खासकर महिला पार्षदों के अधिकारों पर हो रहे कुठाराघात पर अंकुश लगाने के लिए कदम उठाने चाहिए।
अश्वनी बडगैया अधिवक्ता
स्वतंत्र पत्रकार
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