_कातिल की बंदूक से ज्यादा ताकत पत्रकार की कलम में होती है, लेकिन शर्त यह है कि कलम किसी दलाल के हाथ में ना हो_!!

कटनी। 24 घंटे के भीतर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के दो रूप दिखे। पहला तब जब औकात - औकात खेल रहे शाजापुर कलेक्टर को हटाकर उसको उसकी औकात बताई और दूसरा तब जब जबलपुर में पहली कैबिनेट मीटिंग के बाद पत्रकार वार्ता से किनारा कर पत्रकारों को उनकी औकात समझाई।

हुआ कुछ ऐसा कि केन्द्र सरकार द्वारा "हिट एंड रन" मामले में बनाये गये नियम की खिलाफत कर रहे ट्रक - बस ड्राईवर को समझाईस देने बुलाई गई बैठक में शाजापुर कलेक्टर किशोर कुमार कन्याल ने कलेक्टरी लहजे में अपनी कलेक्टरी दिखाई जो बैठक में उपस्थित किसी ड्राईवर को नागवार गुजरी और उसने हिम्मत कर कह दिया कि "अच्छे से तो बोलें" फिर क्या था कलेक्टर का पारा सातवें आसमान पर। कह बैठे समझ "क्या रखा है। क्या करोगे। तुम्हारी औकात क्या है" । न जाने ड्राईवर को कहां से हिम्मत आई उसने भी हाजिर जबाव दे डाला "यही तो हमारी लड़ाई है, हमारी कोई औकात नहीं है"।

बैठक में हुए इस घटनाक्रम का वीडियो वायरल होते हुए मुख्यमंत्री मोहन यादव तक पहुंचा। नये नवेले मुख्यमंत्री ने तत्काल संज्ञान लेते हुए कलेक्टर किशोर कुमार कन्याल को हटाने का निर्देश दिया यह कहते हुए कि मनुष्यता के नाते ऐसी भाषा बर्दाश्त नहीं। किशोर कन्याल को सचिवालय में अटैच करते हुए नरसिंहपुर कलेक्टर बाफना को स्थानांतरित कर शाजापुर पदस्थ कर दिया गया।

            ऐसा कुछ भी हो गया !

मंत्रीमंडलीय विस्तार के बाद मध्यप्रदेश के  मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक संस्कारधानी जबलपुर में सम्पन्न करी। बैठक के बाद संस्कारधानी के पत्रकार मुख्यमंत्री से वार्ता का इंतजार ही करते रहे और मोहन यादव निकल लिए कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को कैबिनेट ब्रीफिंग का जिम्मा देकर। खबर मिल रही है कि अब पत्रकार अपनी औकात का आईना देखकर आक्रोशित दिखाई दे रहे हैं। मगर कुछ होना जाना है नहीं । तय है कि छपने वाले अखबारों में गोदी मीडिया की भाटगिरी सुर्खियां बनी दिखेगी।

अश्वनी बडगैया अधिवक्ता

स्वतंत्र पत्रकार

No comments

Powered by Blogger.