मोहन की टोली में नहीं मिला लाड़लियों को इंसाफ

कटनी। दिल्ली दरबार ने 2023 की समाप्ति के पहले छत्तीसगढ़ में विष्णु के भक्तों तथा मध्यप्रदेश में मोहन की गोप - ग्वालों की टोली बनवा दी। मगर राजस्थान में अभी तक भजन की भजन मंड़ली बनवाने में दिल्ली दरबार सफल नहीं हो पा रहा है। सवाल है कि क्या दिल्ली दरबार 2023 की बिदाई के पहले राजस्थान में भजन की भजन मंड़ली बना पायेगा?

मध्यप्रदेश में मोहन यादव के दरबार में शामिल किये गये वजीरों पर नजर डाली जाय तो मुख्यतः 6 भागों में बंटे प्रदेश के सभी भागों से क्षेत्रीय समीकरण साधते हुए वजीर बनाये गये हैं। टोली में मालवा - निमाड के 6 जिलों की भागीदारी है। जिसमें इंदौर जिले से दो कैलाश विजयवर्गीय (इंदौर - एक) तथा तुलसी सिलावट (सांवेर) को वजीर बनाया गया है। वहीं खंडवा जिले से विजय शाह (हरसूद), झाबुआ जिले से निर्मला भूरिया (पेटलावद), अलीराजपुर जिले से नागर चौहान (अलीराजपुर), रतलाम जिले से चैतन्य कश्यप (रतलाम शहर), शाजापुर जिले से इंदर परमार (शुजालपुर), मंदसौर जिले से जगदीश देवड़ा (मल्हार गढ़) जिन्हें बतौर उप मुख्यमंत्री शामिल किया गया है। उज्जैन जिले से खुद मोहन यादव (उज्जैन दक्षिण) से बतौर मुख्यमंत्री हैं। मालवा - निमाड से मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री सहित सभी 9 कैबिनेट मंत्री हैं।

ग्वालियर - चंबल क्षेत्र के 3 जिलों से नरेन्द्र सिंह तोमर (दिमनी - मुरैना जिला) को विधानसभा अध्यक्ष बनाया जा चुका है। कैबिनेट मंत्री के रूप में मुरैना जिला से ही एंदल सिंह कंसाना, भिंड जिला से राकेश शुक्ला (मेहगांव), तथा ग्वालियर जिला से दो नारायण कुशवाहा (ग्वालियर दक्षिण) एवं प्रदुम्न सिंह तोमर (ग्वालियर) को शामिल किया गया है। जहां तक मध्य भारत की बात है तो यहां से भी 4 जिलों को ही महत्व देते हुए भोपाल जिले से विश्वास सारंग (नरेला) को कैबिनेट तो कृष्णा गौर (गोविंदपुरा) को राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा राजगढ़ जिला से गौतम टेटवाल (सारंगपुर), नारायण पवार (ब्यावर) को राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा रायसेन जिला से नरेन्द्र शिवाजी पटेल (उदयपुरा) को राज्य मंत्री बनाया गया है।

विंध्य पर नजर डालें तो यहां के 4 जिलों से ही एक - एक विधायक को स्थान दिया गया है। रीवा जिले की रीवा विधानसभा सीट से निर्वाचित राजेन्द्र शुक्ला को जहां उप मुख्यमंत्री बनाया गया है वहीं अनूपपुर जिले के दिलीप जायसवाल (कोतमा) को राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तो सतना जिले की श्रीमती प्रतिमा बागरी (रैगांव) एवं सिंगरौली जिले की श्रीमती राधा सिंह (चितरंगी) को राज्य मंत्री बनाया गया है। ठीक इसी तरह से बुंदेलखंड में आने वाले 3 जिलों को ही प्राथमिकता देते हुए दमोह जिले से धर्मेंद्र लोधी (जबेरा), लखन पटेल (पथरिया) को राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), छतरपुर जिले से दिलीप अहिरवार (चांदला) को राज्य मंत्री तथा सागर जिले से गोविंद सिंह राजपूत (सुरखी) को कैबिनेट मिनिस्टर बनाया गया है। महाकौशल क्षेत्र को भी कोई खास तवज्जो नहीं दी गई है। यहां भी नरसिंहपुर जिले को प्राथमिकता देते हुए प्रहलाद पटेल (नरसिंहपुर) उदय प्रताप सिंह, जबलपुर जिले से राकेश सिंह (जबलपुर पश्चिम) तथा मंडला जिले से श्रीमती संपतिया उइके (मंडला) को मंत्रीमंडल में शामिल करते हुए कैबिनेट मिनिस्टर बनाया गया है।

मोहन का दरबार सजाते हुए जातीय संतुलन का भी ध्यान रखा गया है परन्तु जातीय तराजू का पलड़ा पिछड़े वर्ग की ओर झुका हुआ दिखाई दे रहा है। मुख्यमंत्री सहित 13 लोग पिछड़े वर्ग का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। अनुसूचित जाति के 5 और अनुसूचित जनजाति के भी 5 लोग मंत्रीमंडल में लिए गए हैं। सामान्य वर्ग से लिए गए 8 लोगों में 2 ब्राम्हण, 3 क्षत्रिय, वणिक, 1 कायस्थ और 1 जैन सम्मलित हैं।

दिल्ली दरबार ने मोहन के गोप - ग्वालों की टोली बनाने में सबसे बड़ा खेला शिव के गणों के साथ खेला  है। गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह, बृजेंद्र प्रताप सिंह, बिसाहू लाल, बृजेंद्र यादव, ऊषा ठाकुर, प्रभुराम चौधरी, हरदीप सिंह डंग, ओमप्रकाश सकलेचा, मीना सिंह सहित सीतासरन शर्मा और गिरीश गौतम (पूर्व विधानसभा अध्यक्ष) को भीड़ का हिस्सा बना दिया गया है। 2020 में तख्तापलट कराकर शिव का दरबार सजवाने में अहम भूमिका निभाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया का कद भी सिकुड़ कर रह गया है।

पहली बार से लेकर आठवीं बार तक चुनाव जीत कर विधायक बने लोगों को मंत्रीमंडल में जगह दी गई है। पहली बार विधायक बनकर मंत्री की कुर्सी पाने वालों में प्रहलाद पटेल, राकेश सिंह, संपतिया उइके, राधा सिंह, प्रतिमा बागरी, दिलीप अहिरवार और नरेन्द्र शिवाजी पटेल शामिल हैं।

तमाम नकारात्मकता के बावजूद मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार बनवाने में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी निभाने वाली लाड़ली बहनों को मंत्रीमंडल में मोदी सरकार द्वारा पारित किए गए 33 फीसदी आरक्षण की भी अनदेखी की गई है। दिल्ली दरबार ने 2023 की समाप्ति के पहले मोहन की गोप - ग्वालों की टोली बनवा दी। मगर राजस्थान में अभी तक भजन की भजन मंड़ली बनवाने में दिल्ली दरबार सफल नहीं हो पा रहा है। सवाल है कि क्या दिल्ली दरबार 2023 की बिदाई के पहले राजस्थान में भजन की भजन मंड़ली बना पायेगा?

अश्वनी बडगैया अधिवक्ता

स्वतंत्र पत्रकार

No comments

Powered by Blogger.