आखिर मिल ही गई मोहन को गोप - गोपियों की टोली, सज गया मोहन का दरबार

कटनी। मोहन ने यमुना परिक्रमा करते हुए आखिरकार कालिया को नाथ कर 160 गोप - गोपिकाओं के बीच से 28 गोप - गोपिकाओं की टीम बनाने में सफलता हासिल कर ली। अब मोहन की टोली में मोहन के अलावा 25 गोप और 5 गोपिकायें शामिल हैं। ईशु के जन्मदिन पर किये गये एम पी के पहले मंत्रीमंडलीय विस्तार में 28 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली। जिसमें 18 कैबिनेट मंत्री, 6 राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा 4 राज्य मंत्री शामिल हैं।

कैबिनेट मंत्रियों में सांसद से विधायक बने प्रहलाद पटेल, उदय प्रताप सिंह और राकेश सिंह तथा राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को तो शामिल किया गया है लेकिन सांसद से विधायक बनी श्रीमती रीति पाठक को मंत्रीमंडल में जगह नहीं दी गई है।

विधानसभा में भाजपा की तकरीबन 19 महिला विधायक हैं उनमें से 5 महिला विधायकों को मंत्री बनाया गया है। जहां सुश्री निर्मला भूरिया और श्रीमती सम्पतिया उइके को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है तो वहीं श्रीमती कृष्णा गौर को राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिया गया है। इसी तरह श्रीमती राधा सिंह और श्रीमती प्रतिमा बागरी को राज्य मंत्री बनाया गया है।

कैबिनेट मंत्रियों की टीम में राकेश शुक्ला, नागर सिंह चौहान, प्रधुम्न सिंह तोमर, विजय शाह, चैतन्य कश्यप, करण सिंह वर्मा, नारायण सिंह कुशवाहा, विश्वास सारंग, एदल सिंह कंंसाना, तुलसी सिलावट, गोविंद सिंह राजपूत और इंदर सिंह परमार शामिल हैं। लेखन पटेल, धर्मेंद्र लोधी, नारायण सिंह पवार, दिलीप जायसवाल तथा गौतम सिंह टेंटवाल को राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया है। इसी तरह दिलीप अहिरवार और नरेन्द्र शिवाजी पटेल को भी राज्य मंत्री की टोली में रखा गया है। जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ला ने मोहन यादव के साथ ही बतौर डिप्टी सी एम शपथ ली थी।

मोहन यादव ने अपनी टीम में जातीय, क्षेत्रीय समीकरणों को साधने के साथ ही वरिष्ठों और कनिष्ठों को भी जगह दी है। मगर शिवराज सिंह चौहान के मंत्रीमंडल में लम्बे समय तक शामिल रहे कुछ कद्दावर नेताओं को बाहर रखा गया है जिससे उनकी निराशा स्पष्ट दिखाई दे रही है। महाकौशल से आने वाले धनबलियों में शुमार एक विधायक को भी मंत्री नहीं बनाये जाने से भक्तजनों में मायूसी छा गई है। वैसे इस धनबली को शिवराज सिंह चौहान ने भी अपने पिछले पांच साला कार्यकाल में मंत्री बनाने के बजाय मंत्री पद का लालीपाप ही दिखाया था।

मोहन के सामने अगली चुनौती है मंत्रियों के कद के हिसाब से विभागों का बटवारा करना । लगता तो यही है कि दरबारियों के नामों की तरह ही इसका फैसला भी दिल्ली दरबार से ही तय होगा।

 

अश्वनी बडगैया अधिवक्ता

स्वतंत्र पत्रकार

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