मोहन के सिपहसलारों के नाम तय करने में पसीना आ रहा है दिल्ली दरबार को
मोहन के सिपहसलारों के नाम तय करने में पसीना आ रहा है दिल्ली दरबार को
देखने में आया था कि चुनाव परिणाम आने के बाद से ही तमाम बड़े नेता चाहे वह नरेन्द्र तोमर हों या प्रहलाद पटेल या कोई अन्य सभी मोदी शरणम गच्छामि करते हुए दिल्ली दरबार में माथा टेकने पहुंच गए थे। प्रदेश के एक मात्र भाजपा नेता शिवराज ही थे जिन्होंने दिल्ली जाकर मोदी के दरबार में सजदा नहीं किया था। शिवराज ने तो सार्वजनिक तौर पर यह तक कह दिया था कि पार्टी से अपने लिए मांगने से बेहतर है मैं मरना पसंद करुंगा।
मोहन के सिपहसलारों के नाम तय करने में पसीना आ रहा है दिल्ली दरबार को
18 साल तक मध्यप्रदेश के सत्ता प्रमुख को एक झटके में दूध की मक्खी की तरह निकाल कर फेंक देने की टीस शिवराज की बाडी लेंग्वेज से साफ दिखाई देती है। दिल्ली में भितरखाने से मिल रही खबर की माने तो मोहन के सिपहसलारों को अंतिम रूप तब तक नहीं दिया जा सकता है जब तक शिवराज की भूमिका तय न कर ली जाए। यही कारण है कि रविवार को दिल्ली दरबार से अपने सिपहसलारों के नाम तय कराकर लौटने वाले मोहन को सोमवार को फिर से दिल्ली दरबार ने तलब कर लिया। इसी दिन शिवराज सिंह चौहान को भी ससम्मान राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा द्वारा दिल्ली बुलाया गया। जहां पर उनकी नड्डा के साथ ही नम्बर दो अमित शाह से भी बैठक होने की खबर है।
मोहन के सिपहसलारों के नाम तय करने में पसीना आ रहा है दिल्ली दरबार को
एक झटके में मुख्यमंत्री के नाम की पर्ची भिजवाने वाला आलाकमान सप्ताह बीतने को आया और वह मंत्रियों के चंद नाम तय करने में कड़के की सर्दी में पसीने - पसीने हो रहा है। इससे इतना तो तय है कि मध्यप्रदेश में जीत कर आई विधायकों की भीड़ में सबकुछ सहज नहीं है। भितरखाने खलबली तो है।
मोहन के सिपहसलारों के नाम तय करने में पसीना आ रहा है दिल्ली दरबार को
यह भी खबर मिल रही है कि जहां दिल्ली दरबार अपने प्यादों को वजीर बनाने में लगा हुआ है वहीं प्रदेश के वजीर-ए-आजम भी अपने दो - चार प्यादों को वजीर बनाने की आजादी चाहते हैं। उम्मीद की जा रही है कि एक आध - दिन में मोहन के सखाओं की टीम फाइनल हो जायेगी और वह प्रदेश में ता-था-थैया करने लगेगी।
मोहन के सिपहसलारों के नाम तय करने में पसीना आ रहा है दिल्ली दरबार को
अश्वनी बडगैया अधिवक्ता
स्वतंत्र पत्रकार
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