भाजपा की बागी महापौर प्रत्याशी भाजपा का समीकरण बिगाड़ने में जुटी

कटनी। मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को महज 13 दिन ही शेष बचे हैं। कटनी जिले की चार विधानसभा में कुल 57 उम्मीदवार अपना भाग्य आजमाने चुनावी अखाड़े में लँगोट घुमा रहे हैं जिसमें दलीय से लेकर निर्दलीय उम्मीदवार शामिल है। 

जुटाई गई जानकारी के अनुसार सबसे ज्यादा घमासान मुड़वारा और विजयराघवगढ़ विधानसभा क्षेत्र में नजर आ रहा है। सबसे मजेदार बात ये है कि ये घमासान मुड़वारा एवं विजयराघवगढ़ भाजपा उम्मीदवारों में देखने को मिल रहा है। जहां एक भाजपाई दूसरे भाजपाई उम्मीदवार की टांग खींचने में लगा हुआ है। आपको बताते चलें कि नगरीय निकाय के महापौर चुनाव में खड़ी हुई भाजपा उम्मीदवार ज्योति विनय दीक्षित को सहयोग करने की जगह अपनी ही पार्टी के स्थानीय विधायक के द्वारा पर्दे के पीछे से विरोध करने और पराजित होने का ठीकरा स्थानीय विधायक पर फोड़े जाने के चलते गुटबाजी की बलि चढ़ना पड़ा। अब आलम ये है कि अपने आका संजय पाठक के इशारे पर मुड़वारा विधायक को टिकट मिलने का विरोध करते हुए भाजपा से बगावत करते हुए इस्तीफा देने के बाद विनय एवं उसकी बीवी ज्योति दीक्षित ने मुड़वारा भाजपा विधायक को हराने के लिए निर्दलीय नामांकन दाखिल कर मुड़वारा से लड़ने के लिए ताल ठोंक दिए हैं।

पार्टी मान मनौव्वल करें और चुनाव से नाम वापस लेना पड़े इस बात को भांपते हुए पहले से ही ज्योति विनय दीक्षित ने पार्टी को ही पीठ दिखाते हुए खुद ही बाहर रास्ता पकड़ना मुनासिब समझा ताकि ना पार्टी में रहेंगे ना ही दवाब झेलना पड़ेगा। इस बात का जीता जागता नमूना भाजपा के जिला पंचायत उपाध्यक्ष अशोक विश्वकर्मा के रूप में देखा जा सकता है। आपको बताते चलें कि भाजपा में दो गुट चल रहे हैं। एक मुड़वारा भाजपा विधायक संदीप जायसवाल तो दूसरा गुट विजयराघवगढ़ भाजपा विधायक संजय पाठक का। सबसे बड़ी बात ये है कि यदि सूत्रों पर भरोसा करें तो संदीप को हराने के लिए ही संजय ने रणनीति तैयार विनय ज्योति दीक्षित को जो संजय के गुट के कहलाते हैं सबसे पहले संदीप को टिकट मिलते ही पत्रकार वार्ता कर विरोध शुरू करते हुए पार्षद संतोष शुक्ला को भी अपने रंग में रंगते हुए संदीप का विरोध करने के लिए मजबूर कर दिया। और संतोष के माथे पर भी बागी का ठप्पा लगाकर बिना पार्टी से त्यागपत्र दिए चुनाव मैदान में उतार दिया गया इस रणनीति के साथ कि भले ही संजय के बागी चुनाव ना जीते लेकिन संदीप की वोट पर सेंधमारी तो कर ही सकते हैं।

अब भले ही विधानसभा चुनाव में महापौर की तर्ज पर संजय सामने ना हो पर पर्दे के पीछे से सारा खेल संदीप को हराने के लिए खेला जाएगा। दो गुटों की लड़ाई में किसको होगा नफा और किसको नुकसान। वैसे तो भले ही भाजपा प्रत्याशी संदीप की वोट पर किडनैपिंग एवं विभिन्न धाराओं का आरोपी विनय दीक्षित की बीवी निर्दलीय प्रत्याशी ज्योति दीक्षित सेंधमारी करने में सफल होती है तो इसका सीधे तौर पर फायदा कांग्रेस प्रत्याशी को मिलने से इंकार नहीं किया जा सकता। वैसे तो अपराधी विनय दीक्षित की बीवी ज्योति दीक्षित का चुनाव जीतना उतना ही मुश्किल है जितना एक चींटी को चश्मा पहनना। मुड़वारा विधानसभा की जनता ये बात अब तक नहीं भूली है कि भाजपा से बागी होने के बाद निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव में जीत का सहरा पहनाना के बाद आखिरकार वह वापस उसी पार्टी में शामिल होगा जिससे उसने पहले बगावत कर वोटरों का विश्वास जीत फिर विश्वासघात करेगा जैसा कि महापौर प्रीति संजीव सूरी ने किया। अब मुड़वारा के वोटर किसी पार्टी के बागी को जीत की ओर ले जाने से यदि किनारा काटते है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी।

 

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