मतदान सम्पन्न - मतगणना का इंतजार

चुनावी विश्लेषण। मध्यप्रदेश की सरकार बनाने के लिए प्रदेश के 56058521 (पांच करोड़ साठ लाख अंठावन हजार पांच सौ इक्कीस) मतदाताओं (जिसमें 28782261 (दो करोड़ सतासी लाख बयासी हजार दो सौ इकसठ) पुरुष और 27199586 (दो करोड़ इकहत्तर लाख निन्यानवे हजार पांच सौ छियासी) महिला मतदाता शामिल हैं) ने विभिन्न दलों के 2533 (दो हजार पांच सौ तैंतीस) उम्मीदवारों का भाग्य 64523 (चौसठ हजार पांच सौ तेइस) मतदान केंद्रों में रखी गई ईवीएम की बटन दबाकर (सुबह 7 बजे से शाम 6 तक में) बंद कर दिया है।

भाजपा - कांग्रेस के अपने-अपने दावे

जिसमें से 230 भाग्यशाली विजेताओं के नाम 3 दिसम्बर को मतगणना पश्चात सामने आयेंगे। तभी पता चलेगा कि मतदाताओं ने किस दल को बहुमत देकर प्रदेश की सरकार चलाने का जनादेश दिया है। तब तक प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस अपने-अपने दावे करते रहेंगे। वैसे भी मतदान पश्चात जहां कांग्रेस के घोषित मुख्यमंत्री कमलनाथ कांग्रेस की सरकार बनने का दावा कर रहे है वहीं भाजपा के सेवानिवृत्त हो रहे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी चुनाव पूर्व फेंके गए पासों पर भाजपा की एकबार फिर सरकार बनने का भरोसा जता रहे हैं।

30 नवम्बर को तेलंगाना में मतदान हो जाने के बाद शाम 6 बजे से मीडिया एक्जिट पोल का खुलासा कर बताने लगेगा कि किस प्रदेश में किस दल की सरकार बनने का अनुमान है। प्रदेश की अटेर विधानसभा में जहां सबसे अधिक 38 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे तो वहीं सेंधवा विधानसभा में सबसे कम 3 उम्मीदवार एक दूसरे को चुनौती दे रहे थे। कहा जा सकता है कि कहीं-कहीं हुई छुटपुट घटनाओं को छोड़ दिया जाय तो प्रदेश में शांति पूर्ण तरीके से मतदान कराने में चुनावी प्रशासन सफल रहा है।

अब प्रशासन के सामने चुनौती है ईवीएम को संदेहास्पद रहित सुरक्षित रखने की। कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों के सामने भी ईवीएम में भाजपा प्रशासनिक अधिकारियों से मिलकर ईवीएम में कोई खेला न कर सके (संभावित) इस पर नजर रखने के लिए एक पखवाड़े तक चौकीदारी (रतजगा) करने की चुनौती है। क्योंकि देखा गया है कि इस तरह के आरोप सत्तापक्ष और प्रशासन की सग्गामित्ती पर अक्सर लगाये जाते हैं।

कांग्रेस कर सकती है री-पोलिंग की मांग

2018 में दूध की जली कांग्रेस 2023 में छांछ भी फूंक - फूंक कर पी रही है। बताया जाता है कि मतदान का समय खत्म होते ही राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने वाॅर रूम की कमान अपने हाथों में ले ली है। वे सभी 230 प्रत्याशियों से फोन लगाकर व्यक्तिश: फीडबैक ले रहे हैं। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि जहां - जहां गडबडियां हुई हैं वहां - वहां पर री-पोलिंग की मांग की जायेगी। खबर है कि कई मतदान केंद्रों में गडबडझाला हुआ है जिसके चलते प्रत्याशियों और उनके समर्थकों के बीच झड़पें भी हुई है।

भरोसा खो चुकी है भाजपा

2018 में जनता ने कांग्रेस को सरकार बनाने का जनादेश दिया था मगर साल गुजरते ही भाजपा ने हार्स ट्रेडिंग करते कमलनाथ की सरकार को गिरा कर भाजपा ने शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में सरकार बनाई थी। शायद यही कारण है कि कांग्रेस यह मानकर चल रही है कि इस बार भाजपा बहुमत पाने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों की मदद से वोटिंग में ही हेराफेरी कर सकती है। लगता है कि भाजपा की साजिशों की बारीकियों से वाकिफ दिग्विजय सिंह ने वोटिंग होते ही सक्रियता दिखानी शुरू कर दी है।


अश्वनी बडगैया अधिवक्ता

स्वतंत्र पत्रकार

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