दो रातें होंगी भारी - जिनमें बिछेगी बिसात

कटनी। चुनाव प्रचार की अंतिम घड़ी में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सह स्टार प्रचारक कमलनाथ ने कटनी जिले की बरही तहसील में विजयराघवगढ़ विधानसभा से उम्मीदवार नीरज सिंह बघेल सहित कटनी जिले की चारों विधानसभा सीट मुडवारा, बहोरीबंद एवं बडवारा के कांग्रेसी प्रत्याशियों के समर्थन में आमसभा में उपस्थित जनों को संबोधित किया।इसी बीच क्षेत्र में श्रमिक नेता और राजनेता के रूप में अपनी पहचान बना चुके गणेश राव ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की। पदमा शुक्ला और धुव्र प्रताप सिंह के बाद ऐसे तीसरे कद्दावर नेता हैं जिसने संजय पाठक की एकला चलो तथा भाजपा हाईकमान की उपेक्षात्मक रीति - नीति से असंतुष्ट होकर भाजपा को अलविदा कहते हुए कांग्रेस का दामन थामा है।

सुबह हुई जनसभा में अच्छी खासी संख्या रही। कमलनाथ को सुनने वालों की संख्या को लेकर कांग्रेसियों और भाजपाईयों के अपने - अपने दावे हैं। फिर भी इतना तो कहा जा सकता है कि बरही में हुई भाजपाई नेत्री स्मृति ईरानी की आमसभा से ज्यादा भीड़ कमलनाथ की आमसभा में देखी गई।

स्मृति ईरानी और कमलनाथ के संबोधन में खास फर्क यह रहा कि जहां स्मृति ईरानी ने धार्मिक भावनाओं को उभारते हुए वोट देने की अपील की वहीं कमलनाथ ने पार्टी और प्रत्याशी को दरकिनार करते हुए सच्चाई का साथ देते हुए वोट करने की गुजारिश की। कमलनाथ ने विजयराघवगढ़ विधानसभा में सत्ता पक्ष द्वारा फैलाई गई अराजकता को गुलामी से जोड़ते हुए कहा कि 17 नवम्बर को आपके द्वारा किए जाने वाले मतदान से आपको मुक्ति अवश्य मिलेगी।2018 में भाजपा द्वारा दी गई टीस को याद करते हुए कहा कि अब कमलनाथ 2018 वाला माॅडल नहीं है वह अब 2023 का माॅडल बन चुका है।

चुनाव प्रचार के अंतिम दिन सभी राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों सहित निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी पूरे दमखम के साथ रोड़ शो, जनसम्पर्क कर जनता को रिझाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। मुडवारा में जहां भाजपा ने प्रचार समाप्ति की पूर्व संध्या पर रोड़ शो किया वहीं कांग्रेस ने अंतिम दिवस को रोड़ शो कर कांग्रेस प्रत्याशी को जिताने की अपील की। आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार ने भी आटो रैली निकाल कर अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया। मुडवारा विधानसभा चुनाव को त्रिकोणीय संघर्ष में बदलने का भरसक प्रयास कर रही निर्दलीय प्रत्याशी ज्योति दीक्षित ने भी अपना जनसंपर्क जारी रखा। जनता के बीच भी चुनाव के अंतिम दौर में मुडवारा के साथ ही बहोरीबंद और बडवारा में त्रिकोणीय टक्कर होने की चर्चा होने लगी है। कांग्रेस और भाजपा के बीच होने वाली सीधी भिडंत को किस हद तक तिकोने स्तर पर ले जायेगी इसका पता तो 3 दिसम्बर को ही चलेगा।

             शांत हो गया कोलाहल

शाम 6 बजते ही कानफोड़ू आवाजें शांत हो जाने से जनता ने राहत की सांस ली। अब शुरू होगा डोर टू डोर कैम्पेन इसके साथ ही खेला जाएगा समाज के नीचले तबके का वोट खरीदने का खेल। जिसमें एक ओर तो प्रशासन की मुस्तैदी दिखाई देगी तो दूसरी ओर दिखाई देगी गांधी के तीन बंदरों की भूमिका। साधारण और औसत दर्जे के उम्मीदवारों की सारी मेहनत पर वोटिंग शुरू होने के पहले की दो रातें पानी फेर देने के लिए पर्याप्त होती हैं। और यहीं पर चुनाव दर चुनाव लोकतांत्रिक प्रक्रिया भ्रुण हत्या हो जाती है। मजाक बनकर रह जाता है लोकतंत्र। लोकतंत्र की छाती पर चढकर सदन में पहुंच जाते हैं सलाखों के पीछे जाने वाले।

अश्वनी बडगैया अधिवक्ता

स्वतंत्र पत्रकार

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