दे दे राम दिला दे राम _का राग अलाप रहे भाजपाई स्टार प्रचारक_



कटनी। भाजपा के धनबली विधायकों में शुमार, खुद पर कटनी जिले का मुख्यमंत्री का तमगा चिपकाने वाला क्या इतना भयभीत और कमजोर कैंडीडेट साबित हो सकता है कि उसे संबल देने के लिए एक दिन के अंतराल में दो स्टार प्रचारक के साथ ही किन्नर तक को जनता के बीच वोट की भीख मांगने आना पड़ा और वह भी काम के नाम पर नहीं राम के नाम पर वोट देने की याचना करनी पड़ी।


विजयराघवगढ़ विधानसभा क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार हैं प्रदेश के धनबली विधायकों में से एक संजय पाठक । जिन्हें कटनी जिले में लोकल मुख्यमंत्री के रूप तक में जाना जाता है। ये वैसे तो कांग्रेस डीएनए वाले हैं। कांग्रेस से विधायक भी रह चुके हैं। इनके पिता भी कांग्रेस से विधायक और दिग्विजय सिंह के मंत्रीमंडल में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। इनकी माताश्री श्रीमती निर्मला पाठक कांग्रेस से कटनी की प्रथम नागरिक रह चुकी हैं।


जैसा कि राजनीति में आम है अपनी निजी स्वार्थसिद्दी के लिए दलबदल करना। इन्होने भी किया। जिसका भाजपा ने ईनाम भी दिया फूल छाप कांग्रेसी को मंत्री बनाकर।


संजय ने 2023 के विधानसभा चुनाव में अपनी उम्मीदवारी की डांवाडोल हो रही स्थिति को भांपते हुए पहले तो विजयराघवगढ़ में धार्मिक आयोजन कराया। जिसमें जनता को रिझाने के लिए टापमोस्ट लीडरों के अलावा धार्मिक गुरुओं से लेकर सपना चौधरी नामक नचनिया का नाच तक कराया। इतने पर भी जब कान्फीडेंस नहीं हुआ तो इमोशनल कार्ड खेला गया - "मैं चुनाव लड़ू या नहीं" के नाम पर एक पक्षीय वोटिंग कराने की नौटंकी कराकर। वह भी तब जब - "काहे पड़े हो चक्कर में जब पार्टी में कोई नहीं है टक्कर में" ।


विधायकी कार्यकाल चाहे व कांग्रेस के समय का रहा हो या फिर भाजपा के समय का। क्षेत्र में ऐसा कोई काम तो किया नहीं जिसके नाम पर डंके की चोट पर वोट मांगे जा सकें। शायद यही कारण है कि मतदाताओं को रिझाने के लिए पार्टी के दो स्टार प्रचारकों को 2 दिन के अंतराल में आना पड़ा। पहले आईं स्मृति ईरानी बरही में। जिनने काम के नाम पर नहीं राम के नाम पर वोट देने की ईमोशनल अपील की। लगता है इसका कोई खास प्रभाव जनता पर पड़ नहीं तभी तो दो दिन के भीतर एक और केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को, जो खुद भी फूल छाप कांग्रेसी हैं, अपनी बिरादरी के ही फूल छाप कांग्रेसी के सपोर्ट में कैमोर आकर जनता से वोट की याचना करनी पड़ी। कैमोर में तो ज्योति ने अपने द्वारा किए गए दलबदल पर जनता की मुहर लगवाने की कोशिश करते हुए संजय द्वारा किए गए दलबदल को भी जायज ठहराने का प्रयास किया।


चुनाव के दौरान उम्मीदवारों के सपोर्ट में पार्टी के स्टार प्रचारकों का आना स्वाभाविक है। मगर विजयराघवगढ़ में संजय के लिए वोट मांगने वाले स्मृति और ज्योति के बीच में किन्नर (हिजड़े) की एंट्री को जरूर ही अस्वाभाविक कहा जायेगा।


अमूमन हिजड़े कभी किसी राजनीतिक दल का प्रचार-प्रसार करने नहीं जाते और वह भी तब जब वह किन्नर - किन्नरों का महामंडलेश्वर बन गया हो। किन्नरों तो सर्वधर्म समभाव के साथ सभी की चौखट पर जाकर बधाई गाते  और अपना आशीष देते हुए देखा गया है - फिर चाहे वह गरीब हो या अमीर।


विजयराघवगढ़ में संजय के लिए सड़कों पर घूमते हुए वोट मांग कर क्या किन्नर महामंडलेश्वर ने किन्नर समाज को यह संदेश दिया है कि अब के बाद किन्नर समाज केवल भाजपाईयों और पूंजीपति भाजपाईयों के घरों पर ही जाकर बधाई गायेंगे अन्य के यहां नहीं।


संजय के लिए वोट मांगने की खातिर ताबड़तोड़ पहले स्मृति फिर ज्योतिरादित्य और उसके बीच में हिजड़े का आना क्या यह संदेश नहीं दे रहा कि इस बार चुनाव में संजय की हालत पतली है।



जबकि होना तो यह चाहिए था कि न सही प्रदेश की दूसरी विधानसभा कटनी जिले की ही मुडवारा, बडवारा और बहोरीबंद में बतौर स्टार प्रचारक संजय पाठक जाकर आमसभा - रोड़ शो करते हुए भाजपा उम्मीदवार को जिताने के लिए याचना करते। मगर वो तो खुद अपनी नैया पार लगाने भंवर में फंस कर रह गए हैं।


    अभी तक कोई नहीं आया.............

चुनाव प्रचार समाप्त होने में बमुश्किल 4 दिन बचे हैं। कटनी जिले की किसी भी विधानसभा में अभी तक कांग्रेस का कोई भी स्टार प्रचारक कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में न तो आमसभा न ही रोड़ शो करने आया है। सभी कांग्रेस उम्मीदवार खुद ही स्टार प्रचारक बने आमजन के बीच जाकर हाड़ - तोड़ प्रचार-प्रसार में लगे हुए हैं।


यह तो 3 दिसम्बर को ही पता चलेगा कि जनता ने बाहरी स्टार प्रचारकों के झांसे में आकर वोट किया या फिर अपने बीच के ही स्टार प्रचारक बने उम्मीदवार की बातों पर भरोसा करके वोट दिया।

अश्वनी बडगैया अधिवक्ता

स्वतंत्र पत्रकार


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