लगता है ऊर्जा सचिव ने शिवराज सरकार को सत्ता से बेदखल करने की ले ली है सुपारी ! 60 हजार पेंशनर्स और उनके परिवार जन कर सकते हैं भाजपा के खिलाफ वोट !

कटनी। शिवराज सहित मोदी - शाह मध्यप्रदेश में भाजपा को फिर से सत्ता पर काबिज कराने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं । शिवराजी सरकार सस्ते में गैस सिलेंडर, लाडली बहना को हर माह बैंक खाते में पैसे का ट्रांसफर, मुफ्त अनाज बांटना जैसी लोक लुभावनी स्कीम चला कर चुनावी नैया पार लगाने में लगी हुई है। वहीं प्रशासनिक अधिकारी शिवराज के रास्ते में कंटक बिछाने में लगे हुए हैं। कर्मचारियों और पेंशनर्स के जायज हकों पर डाका डालने का काम किया जा रहा है।

ऐसा ही मामला है विद्युत पेंशनर्स का सामने आया है जहां उन्हें उनको मिलने वाली मंहगाई राहत के लिए जानबूझकर तरसाया जा रहा है। यह काम और कोई नहीं खुद ऊर्जा सचिव के द्वारा किया जा रहा है ! एक ओर चुनावी हित साधने के लिए केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों और पेंशनर्स को 46 फीसदी मंहगाई भत्ता - मंहगाई राहत दे रही है वहीं मध्यप्रदेश की शिवराजी सरकार अपने कर्मचारियों और पेंशनर्स को 42 फीसदी मंहगाई भत्ता और मंहगाई राहत दे रही है।

विद्युत मंडल और उसकी उत्तरवर्ती कंपनियों पर प्रदेश सरकार के समस्त नियम कानून को मानने की बाध्यता है। चुनाव के पहले तक ऊर्जा सचिव द्वारा पेंशनर्स के संबंध में राज्य सरकार के सभी नियम - कानून का पालन किया जा रहा था मगर चुनाव की घोषणा होते ही ऊर्जा सचिव ने पलटी मारते हुए पेंशनर्स के हितों पर कुठाराघात करना शुरू कर दिया है।

जहां विद्युत कम्पनियों के नियमित कर्मचारियों और अधिकारियों को 42 फीसदी मंहगाई भत्ता दिया जा रहा है वहीं विद्युत कम्पनियों के 60 हजार पेंशनर्स को दी जा रही है 38 फीसदी मंहगाई राहत । बताया जाता है कि चुनाव आयोग की अनुमति के बाद भी ऊर्जा सचिव ने रोक रखा है 4 फीसदी मंहगाई राहत दिये जाने का आदेश ।

खबर मिल रही है कि अगर मतदान दिवस के पहले विद्युत पेंशनर्स को 4 फीसदी मंहगाई राहत (कुल 42 फीसदी) दिए जाने का आदेश जारी नहीं किया जाता है तो 17 नवम्बर को होने जा रहे मतदान में 60 हजार विद्युत पेंशनर्स और उनके परिवार जन अपने गुस्से का इजहार भाजपा के खिलाफ वोट देकर कर सकते हैं।

अश्वनी बडगैया अधिवक्ता

स्वतंत्र पत्रकार

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