मुख्यमंत्री बनू या नहीं _कहीं आलाकमान को चुनौती तो नहीं शिवराज की

टनी। गजब का संजोग है पहले कांग्रेसी डीएनए वाले विधायक ने जनता से खुद के लिए एक पक्षीय वोटिंग करवाई कि उसे चुनाव लड़ना चाहिए या नहीं । अब मूल भाजपाई वह भी मुख्यमंत्री जनता से पूछ रहा है कि उसे मुख्यमंत्री बनना चाहिए या नहीं ?

जब विजयराघवगढ़ से विधायक संजय पाठक ने खुद के 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए अपने पक्ष में एक पक्षीय वोटिंग करवाई तब उसके पीछे यही दो कारण हो सकते हैं पहला इस बार चुनाव में जीत मुश्किल, दूसरा टिकिट मिलने की संभावना नगण्य। वोटिंग के पीछे एक ओर पार्टी पर दबाव बनाने की कोशिश तो दूसरी ओर जनता को भावनात्मक ब्लेकमेल करने की मानसिकता।

अब जब मोदी - शाह की जोड़ी ने कद्दावर सांसदों की फौज को विधानसभा चुनाव मैदान में उतार दिया है और वह भी ऐसे जो मुख्यमंत्री बनने की काबिलियत रखते हैं तो शिवराज सिंह चौहान को इस बात का अहसास होना लाजिमी है कि 2023 के चुनाव में खुदा न खास्ता पार्टी सत्ता में वापसी करती है तो उनकी ताजपोशी तो मुख्यमंत्री पद पर नहीं ही होगी। खबर तो यहां तक है कि यदि गुजरात फार्मूला लागू किया गया तो शिवराज की टिकिट भी कट सकती है।

शिवराज सिंह चौहान का जनता से सार्वजनिक सभाओं में यह कहना कि "मैं चला जाऊंगा तो बहुत याद आऊंगा" तथा मुझे "मुख्यमंत्री बनना चाहिए या नहीं" ? यह बताने के लिए पर्याप्त है कि 2023 के चुनाव में भाजपा की एक्सीडेंटल वापसी होने के बाद भी शिवराज को मुख्यमंत्री नहीं बनाया जायेगा। वैसे भी मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव की कमान संभालने वाले अमित शाह ने प्रदेशवासियों और पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच कई बार यही संदेश देने की कोशिश की है कि इस बार का विधानसभा चुनाव शिवराज या किसी अन्य को मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट कर नहीं लड़ा जायेगा।

और यह 18 साल से मुख्यमंत्री का ताज पहने शिवराज सिंह चौहान के पराभव की स्पष्ट घोषणा है ! दांव में तो प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा की साख भी लगी हुई है। चर्चा तो यही है कि उन्हें भी विधानसभा का चुनाव लड़ाया जायेगा। बहरहाल अभी छींका बिल्ली की पहुंच से दूर है। इंतजार तो करना होगा।

हां एक बात का उत्तर तो जनता को मिलना ही चाहिए कि चुनाव लड़ने के लिए वोटिंग कराने का सुझाव संजय को शिवराज ने दिया था या मैं फिर से मुख्यमंत्री बनूं या नहीं जनता से यह पूछने का दिमाग शिवराज को संजय ने दिया है !

वैसे जनता से मुख्यमंत्री बनने या नहीं बनने का सवाल दाग कर शिवराज सिंह चौहान ने आलाकमान को चुनौती तो दे ही दी है !

अश्वनी बडगैया अधिवक्ता

स्वतंत्र पत्रकार

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