नाराजगी तो दोनों से है फिर भी....... क्या मेंढक एक तराजू में तुल जायेंगे
कटनी। मुडवारा (कटनी) विधानसभा में भाजपा ने जहां तमाम खांटी भाजपाईयों को एकबार फिर से दरकिनार फूल छाप कांग्रेसी संदीप जायसवाल को लगातार तीसरी बार टिकिट दी है वहीं कांग्रेस द्वारा 2018 के पराजित प्रत्याशी मिथलेश जैन को एकबार फिर दांव पर लगाया गया है। भाजपाईयों में संदीप को लेकर असंतोष है तो कांग्रेसियों में भी मिथलेश को लेकर अच्छी खासी नाराजगी सुनाई दे रही है। एक बात और मतदाताओं के बीच संदीप से ज्यादा असंतोष के स्वर मिथलेश को लेकर सुनाई दे रहे हैं।
जहां भाजपा में नेताओं से ज्यादा कार्यकर्ताओं की भरमार है वहीं कांग्रेस में नेताओं के अलावा कोई दिखाई ही नहीं देता है। कार्यकर्ताओं के मामले में तो कांग्रेस की हालत अनाथों जैसी दिख रही है। कांग्रेस में हर कांग्रेसी अपने को नेता ही मानकर चलने के साथ किसी के सामने झुकने में अपनी तौहीन समझता है। मगर चुनाव नेताओं के दम पर नहीं कार्यकर्ताओं की मेहनत पर लड़ा और जीता जाता है। कार्यकर्ता तो थोड़े से मानमनुव्वल से भी मान जाता है मगर नेता का ईगो उसे अकड़ाये रखता है। मूलतः यही फर्क है भाजपा और कांग्रेस में। जिस दिन कांग्रेसी खुद को नेता के बजाय कार्यकर्ता समझ कर काम करने लगेगा। कांग्रेस की नैया पार लग जायेगी अन्यथा मझधार में तो नाव डूब ही रही है।
तय है कि समय के साथ - साथ भाजपाई संदीप से लाख असंतुष्ट होने के बाद भी पार्टी की खातिर चुनाव प्रचार करेगा। परंतु यक्ष प्रश्न यह है कि क्या कांग्रेसी अपने ईगो को दरकिनार कर मिथलेश के लिए एकजुट होकर चुनाव प्रचार करेंगे ? एक बात और भाजपाईयों का बड़ा वर्ग भितरघात नहीं करता जबकि कांग्रेसियों में इसके उलट होता है।
मिथलेश अपने प्रति मतदाता और पार्टी जनों के बीच फैली नकारात्मक सोच को कहां तक दूर कर वोट में तब्दील कर पाता है इसका पता तो 3 दिसम्बर को ही चलेगा।
अश्वनी बडगैया अधिवक्ता
स्वतंत्र पत्रकार
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