प्रतिष्ठित दैनिक अखबार के सर्वे के अनुसार विधायक संजय पाठक क्या अब भी लड़ेंगे चुनाव : पूंछती है विजयराघवगढ़ की जनता

कटनी। मध्यप्रदेश में होने वाला विधानसभा चुनाव का समय जैसे - जैसे  नजदीक आता जा रहा है वैसे - वैसे जनप्रतिनिधियों की पोल खुलती जा रही है। 

आपको बताते चलें कि भाजपा के विजयराघवगढ़ विधायक संजय पाठक ने तो हद ही कर दिये। जनता को भय के साये में रखकर जनमत संग्रह की वोटिंग का ढिंढोरा पिटवाकर ऐलानिया कर दिया कि इस बार मेरा चुनाव लड़ना या ना लड़ना जनता तय करेगी। इतना ही नहीं पाठक ने यहां तक कह दिया था कि यदि जनता 50 प्रतिशत से कम वोट देती है तो मैं चुनाव नहीं लडूंगा।

सबसे मजेदार बात तो ये है कि विजयराघवगढ़ विधानसभा में  संजय पाठक के प्रति वहां की आवाम में धूमिल हो चुकी छवि और बढ़ते विरोध का कीड़ा काटते देख विधायक पाठक ने कूटरचित तरीके से भाजपा हाईकमान के सामने टिकिट ना कट जाने के चक्कर में जनमत संग्रह की बिसात बिछाकर अपने ही पाले हुए भाजपाइयों से घर - घर जाकर चार दिन चले तथाकथित जनमत संग्रह और मतपत्र में खुद के नियुक्त किये कार्यकर्ताओं से मतपत्र में बने खाली खांचे पर खुद के पेन से सही का निशान लगवाया गया?

अब जिसका विधायक खुद कई तरह के आरोप से घिरा हुआ आरोपी हो भला उसके पाले हुए खुद भाजपा कार्यकर्ताओं के आगे किस वोटर की मजाल जो जनमत संग्रह के मतपत्र में हां और सही का निशान लगाने का विरोध कर सके। अलबत्ता चार दिनों तक तेल के टीननुमा कंसरा को मतपत्र पेटी बनाकर अपने ही लोगों के द्वारा डलवाये गए वोट पाकर विधायक जी उस समय और भी ज्यादा फूले नहीं समाये जब गिनती करने के बाद तथाकथित तरीके से 75 प्रतिशत जनमत संग्रह मिलने की घोषणा की गई। 

संजय पाठक के चुनाव को देखकर एक बात याद आ रही है जो आप जनता से शेयर करना जरूरी समझता हूँ। दरअसल ये चुनाव उसी तरह से जीता गया जिस तरह से एक बच्चा रेस यानि दौड़ में भाग लेता है और घर आकर अपने पापा से कहता है "पापा - पापा" मैं रेस में फर्स्ट आया हूं तो पापा बच्चे से पूंछते हैं बेटा रेस में और कितने बच्चों ने भाग लिया था तभी बच्चा कहता है और कोई नहीं मैं अकेला ही था। कुछ यही हाल पाठक का था तथाकथित जनमत संग्रह चुनाव की रेस में। 

खैर आंगे बताते चले कि कटनी विधानसभा की चारों सीटों में होने वाले चुनाव से पहले देश के एक प्रतिष्ठित दैनिक अखबार ने अपना स्वयं का सर्वे पोल किया तो नतीजे बड़े ही चौकानें वाले सामने आए हैं। जिसके बाद 75 प्रतशित जनमत पाने वाले विधायक के पैरों तले जीमन खिसकती हुई नजर आने लगी होगी? कटनी की चारों विधानसभा में विजयराघवगढ़ भाजपा विधायक संजय पाठक सबसे रहीश विधायक माने जाते हैं। चुनाव जीतने के लिये साम, दाम, दंड और भेद जैसे तमाम हथकंडे अपना कर चुनाव जीतने वाले संजय पाठक की देश के सबसे बड़े एक दैनिक अखबार ने सर्वे रिपोर्ट बताकर रात की नींद और दिन के चैन में खलबली मचा कर रख दी है। 


आपको बताते चले कि दैनिक अखबार की टीम ने जनता के बीच जाकर जो सर्वे किया है उसके आधार पर जनता ने विजयराघवगढ़ भाजपा विधायक संजय पाठक को नापसंद कर दिया है। सर्वे में बताया गया कि विधायक पाठक को विजयराघवगढ़ की जनता ने इस बार विधानसभा चुनाव के लिए उपयुक्त ना मानते हुए नकार दिया गया है, जिसमें पाठक को महज 46 प्रतिशत जनता ने ही अपना समर्थन दिया। 


तो वहीं दूसरी ओर कैमोर के भाजपा नेता भारतीय मजदूर संघ के अध्यक्ष गणेश राव को जनता ने 54 प्रतिशत जनमत देते हुए पहली पसंद बताया है। अब मजेदार बात देखने में ये है कि दैनिक  अखबार ऐप के सर्वे के अनुसार क्या संजय पाठक चुनाव लड़ेंगे या फिर अपनी ही विधानसभा में जनता से किये गए वादे से वादाखिलाफी करेगें? देखना बड़ा ही दिलचस्प होगा कि विधायक अपनी जुबान के कितने धनी हैं। 

इसी तरह बात यदि विजयराघवगढ़ विधानसभा में कांग्रेस की करें तो पूर्व अध्यक्ष मध्यप्रदेश समाज कल्याण बोर्ड की पद्मा शुक्ला को मात्र 6 प्रतिशत तो पूर्व विधायक ध्रुव प्रताप सिंह को 19 प्रतिशत तो वहीं प्रदेश प्रतिनिधि मध्यप्रदेश कांग्रेस के नीरज सिंह बघेल को 70 प्रतिशत जनता ने पसंद किया है। 

इसी तरह बात यदि मुड़वारा विधानसभा की करें तो भाजपा से विधायक संदीप जायसवाल को 55 प्रतिशत, प्रदेश कार्य समिति सदस्य शशांक श्रीवास्तव को 25 प्रतिशत तो वहीं सबसे कम जिलाध्यक्ष पिछड़ा वर्ग मोर्चा के अशोक विश्वकर्मा को मात्र 13 प्रतिशत ही पसंद किया गया है। 

तो वहीं दूसरी ओर मुड़वारा से कांग्रेस को सर्वे में प्रदेश प्रतिनिधि मध्यप्रदेश कांग्रेस के विजेंद्र मिश्रा को 46 प्रतिशत, अध्यक्ष युवा कांग्रेस दिव्यांशु मिश्रा 35 प्रतिशत तो वहीं बार एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष अमित शुक्ला को मात्र 18 प्रतिशत समर्थन मिल रहा है। 

बहोरीबंद विधानसभा में भाजपा से विधायक प्रणव पांडेय 43 तो दिलीप दुबे 57 प्रतिशत पर हैं।

कांग्रेस पर नजर डाले तो निशिथ पटेल, प्रदेश प्रतिनिधि को 12, शंकर महतो 33 तो पूर्व विधायक सौरभ सिंह को 32 प्रतिशत का उम्मीदवार बताया है। 

बड़वारा विधानसभा में एक नजर डाले तो भाजपा से उम्मीदवार के रूप में पूर्व विधायक मोती कश्यप को 18, पूर्व जिला पंचायत सदस्य धीरेंद्र सिंह धीरू को 71 तो प्रदेश उपाध्यक्ष भाजयुमो की पूजा देवी सिंह को मात्र 11 प्रतिशत का उम्मीदवार ही माना जा रहा है। 

कांग्रेस में नजर दौड़ाए तो बड़वारा विधानसभा से उम्मीदवारी के लिए जिला पंचायत सदस्य अजय गोटिया 37, तो विधायक विजय राघवेंद्र सिंह को 63 प्रतिशत जनता ने अपना उम्मीदवार बनाने का मन बना रही है।

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