दिल्ली के नामचीन दृष्टिबाधित स्कूल में नवमी की पढ़ाई करेगी भारती
दृष्टिबाधित छात्रा भारती के सपनों को लगेंगे पंख
कलेक्टर प्रसाद ने की भारती के जीवन में शिक्षा का उजियारा भरने की पहल
कटनी। जिले के दिव्यांगों के सपने उड़ान भरनें लगे है, उनकी उम्मीदों व सपनों को साकार करने कलेक्टर अवि प्रसाद, दिव्यांगों को खुले आसमान में उड़ने का हौसला दे रहे है। इन्ही में से एक दृष्टिबाधित छात्रा है भारती अहिरवार। जो जिला दृष्टिबाधित विद्यालय झिंझरी की कक्षा आठवी में पढ़ती है। भारती के जीवन में शिक्षा का उजियारा फैलाकर उसके जीवन को संवारने फरिश्ता बने कलेक्टर प्रसाद अब भारती को आगे की पढाई करने देश की राजधानी दिल्ली के प्रतिष्ठित दृष्टिबाधित स्कूल में दाखिला कराने जा रहे है।
भारती की किस्मत संवरने जा रही है
कलेक्टर अवि प्रसाद का बीते बुधवार को इस स्कूल का दौरा भारती के जीवन में खुशियों का सबब बन गया। अब वो दिन दूर नहीं जब भारती देश की राजधानी दिल्ली की नामचीन दृष्टिबाधित स्कूल में पढ़ाई कर अपनी जिंदगी के सपनों को साकार करने की इबारत लिखेगी।
कलेक्टर अवि प्रसाद बुधवार को जहां कक्षा आठवी की छात्रा भारती से मिले थे। तो वहीं वे गुरूवार को भारती की माता राजरानी अहिरवार से भेंट कर, राजरानी को उनकी होनहार बेटी को आगे की पढ़ाई कर भविष्य संवारने के लिए दिल्ली भेजने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित किया। भारती को पढ़ने दिल्ली भेजने के प्रति राजरानी के मन में व्याप्त तमाम शंकायें और हिचकिचाहट कलेक्टर से मुलाकात के बाद दूर हो गई। और अब वे अपनी लाड़ली बेटी को दिल्ली पढ़नें भेजने के लिए सहमत हो गई हैं।
पाठक वार्ड भठ्ठा मोहल्ला निवासी पिता राजेश और माता राजरानी अहिरवार का परिवार मेहनत-मजदूरी कर अपने परिवार का उदर-पोषण करता है। ऐसे मे दिल्ली जैसे मंहगें शहर में जाकर बेटी की पढ़ाई की बात सोचना भी उनके बस की बात नहीं थी। राजरानी अहिरवार ने कलेक्टर प्रसाद से भेंट के दौरान कहा कि - आपको ईश्वर ने भारती का भविष्य संवारने फरिश्ता बनाकर भेजा है। ये मेरे लिए बड़ी खुशी का क्षण है।
भारती कहती है कि उसकी सिंगर बनने की बड़ी इच्छा थी, लेकिन लगता था कि ये कैसे होगा ? लेकिन कलेक्टर सर अब मेरा दिल्ली में एडमीशन करा रहे हैं, तो लगने लगा है कि अब मै बड़ी सिंगर बन पाऊंगी। मेैं मन लगाकर खूब मेहनत करूंगी और देश भर में जिले का नाम रोशन करूंगी।
भारती कहती है कि कलेक्टर साहब पहले भी दृष्टिबाधित कृष्णा के लिए बहुत कुछ कर चुके है। इसके बाद से ही लगने लगा था कि वे मेरे बारे में भी कुछ अच्छा सोचेंगे।
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