विजयराघवगढ़ विधानसभा में भाजपा से कई दिग्गज मांग सकते है टिकट, एक छत्र राज करने वाले की कट सकती है टिकट.?
कटनी। मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को महज चार माह ही बचे है। देश की दो सबसे बड़ी पार्टी भाजपा और कांग्रेस ने अपने - अपने हिसाब से गणित बैठाना शुरू कर दिया है। जिसके लिए दिल्ली से लेकर भोपाल स्तर की टीमें सर्वे करने में जुट गई हैं। वैसे तो कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है तो वहीं भाजपा धर्मसंकट में उलझी हुई है। एक तरफ तो भाजपा कार्यकर्ताओं ने कटनी की चारों विधानसभा में प्रत्याशी का चेहरा रिपीट होने पर दो टूक कह दिया है कि यदि इस बार ऐसा हुआ तो पार्टी सहयोग की उम्मीद बिल्कुल भी न करें। तो वहीं दूसरी ओर जिस तरह से भाजपा के दिग्गज और कद्दावर नेता पार्टी छोड़ छोड़कर कांग्रेस का हाथ थामने में लगे हुए है इस बात से और भी ज्यादा भाजपा की सांसे ऊपर नीचे हो रही हैं।
कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह मुड़वारा सीट को लेकर सर्वे दौरा भी कर चुके है। तो वहीं प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ अपने स्तर से तमाम सीटों को लेकर गम्भीर हैं। इस बार कांग्रेस जरूर फूंक फूंककर कदम रखेगी। जिसके लिए राज्य से लेकर दिल्ली तक भागमभाग जारी है। जिसकी रिपोर्ट भोपाल स्तर के बड़े नेता दिल्ली में प्रियंका और राहुल गांधी को दे रहे हैं। वैसे तो बड़वारा विधानसभा सीट को लेकर कांग्रेस आश्वस्त है तो वहीं मुड़वारा, बहोरीबंद और विजयराघवगढ़ को लेकर चिंतन मनन करने में लगी है। सूत्रों की माने तो कांग्रेस को यदि मुड़वारा से कोई ढंग का चेहरा नजर नहीं आया तो फिर किसी अन्य विकल्प को तलाशने का काम करेगी।
भाजपा के पास वैसे तो मुड़वारा से संदीप जायसवाल से अच्छा दूसरा कोई विकल्प नहीं है। लेकिन कार्यकर्ताओं की बात को भी हल्के में लेना भाजपा के लिए बड़ा नुकसान साबित हो सकता है। बहोरीबंद की बात की जाए तो कांग्रेस से सौरभ सिंह का नाम चल रहा है, तो वहीं भाजपा प्रत्याशी के लिए अभी तश्वीर साफ नहीं है। अब बची विजयराघवगढ़ सीट तो इस बार भाजपा को एक छत्र राज करने वाले की दाल जलती हुई दिखाई दे रही है। कारण साफ है भाजपा से इस बार एक नहीं बल्कि कई दावेदार भाजपा से टिकट की दावेदारी करने चुनाव मैदान में लंगोट घुमाने का मन बना चुके है। सबसे बड़ी बात ये है कि भाजपा केंद्रीय सर्वे टीम का गुपचुप तरीके से कटनी की चारों विधानसभा में दौरा और सर्वे कर दुखी मन से चले जाने के बाद जिले की पूरी भाजपा में खलबली मची हुई थी। जिसको लेकर अभी भी जिलेवार भाजपाइयों की सांसे अटकी हुई है।
सबसे बड़ी समस्या विजयराघवगढ़ को लेकर नजर आई। जिस पर विधायक संजय पाठक ने चुनाव से पहले जनमत संग्रह की बात करके केंद्रीय सर्वे टीम को इस बात का भरोसा दिला दिया कि यदि टिकट संजय पाठक को दी गई तो भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। सूत्रों पर भरोसा करें तो उसी के बाद से सर्वे टीम को गुप्त रूप से कुछ नाम भी सुझाये गए थे, जो भाजपा से प्रबल दावेदारी और जीत की ओर उभरते हुए चेहरे के रूप में देखे जा सकते हैं।जिसमें पहले भी चार नामों को लेकर चर्चा है कि कैमोर से गणेश राव जो भाजपा के कद्दावर नेता के रूप में जाने जाते है। ये एक ऐसा नाम है यदि भाजपा टिकट देती है तो यकीनन कांग्रेस प्रत्याशी को पटखनी दे सकते है। इसी तरह विजयराघवगढ़ सीट के लिए तीन नाम भी केंद्रीय सर्वे टीम ने अपनी लिस्ट में शामिल किए है। और वो नाम राजेश गर्ग, सतीश तिवारी, राम नारायण ( गुड्डा सोनी ) जैसे के चेहरे जीत दिला सकते हैं।
विजयराघवगढ़ की राजनीति गलियारों से प्राप्त जानकारी के अनुसार एक और ऐसे नाम की चर्चा होना शुरू हो गई है। जो किसी परिचय का मोहताज नहीं है। अपको बता दे कि कांटी मंडल अध्यक्ष जयवंत सिंह चौहान, जी हां ये एक ऐसा नाम है जो विजयराघवगढ़ में बेहद सरल और मिलनसार व्यकितत्व के धनी माने जाते हैं। इनका नाम भी भाजपा से विजयराघवगढ़ सीट के लिए चल रहा है। टिकट के प्रबल दावेदार माने जा रहे जयवंत सिंह राजनाथ सिंह के बेटे नोयडा से विधायक पंकज सिंह के काफी करीबी माने जाते हैं।
सूत्रों पर भरोसा करें तो सर्वे टीम ने जयवंत सिंह के नाम को प्रत्याशी सूची में सबसे अलग जगह दी हुई है। काफी हद तक टिकट मिलने की संभावना व्यक्त की जा रही है। जानकारों की माने तो विजयराघवगढ़ बेल्ट अधिकांश ब्राह्मण वादी माना जाता है। इन सब में एक और नाम की सुगबुगाहट हो रही है। विजयराघवगढ़ बड़ी संख्या में ब्राह्मण वोट बैंक से भी भरा पड़ा है इसी बात का फायदा देखते हुए कटनी के सुनील उपाध्याय जिनका पैतृक गांव कुठिया महगवां है विजयराघवगढ़ से भाजपा से टिकट के लिए ताल ठोंक सकते हैं। आपको बता दें कि इसके पहले एक छत्र राज करने वाले के सामने कोई भी टिकट तो क्या खड़े होने की भी सोच नहीं सकता था, लेकिन इस बार विधानसभा में एक, दो नहीं बल्कि आधा दर्जन चुनावी दंगल में विजयराघवगढ़ से भाजपा से टिकट मांगने का मन बनाकर मैदान में उतर कर लंगोट घूमा सकते हैं। हालांकि ये सभी चेहरे भाजपा को निराश नहीं होने देने का पूरा - पूरा दम खम रखते हैं। जो विपक्ष को पटखनी देने के लिए अंगद के पैर माफिक साबित होने से इंकार नहीं किया जा सकता।
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