कुछ ही देर में तथाकथित जनमत संग्रह का टीन के डिब्बे से निकलेगा जिन्न
कटनी। विजयराघवगढ़ विधानसभा में चुनाव आयोग से पहले हो रहे तथाकथित चुनाव का फाइनल परिणाण तेल के बंद कंसरे से पूर्ण बहुमत का जिन्न निकलकर आने में कुछ ही घंटे शेष बचे हैं। बूथकैप्चिंग के जरिए घर- घर जाकर कराये जा रहे वोटिंग से 50 प्रतिशत जनमत पाने की मंशा तो पूरी हो ही जाएगी, या यूं कहें हो गई। पर ऐसे जनमत का क्या औचित्य। सबसे मजेदार बात ये है सूत्रों पर भरोसा करें तो जनमत संग्रह की आड़ में विजयराघवगढ़ विधानसभा की जनता को ये बताने का प्रयास किया जा रहा है कि जिस तरह से जनमत संग्रह के लिए वोटिंग कराई गई है इसी तरह चुनाव आयोग के द्वारा होने वाले फाइनल विधानसभा में इसी तरह से वोटिंग कराई जाएगी किसी के मुंह से विरोध में चूं - चां न निकले?
नहीं तो.... बस उसी का ये संकेत था जनमत संग्रह के दिखावे का। अब भला आप ही सोचिए इतिहास में ऐसा तो कभी नहीं हुआ न ही इस तरह की मंशा जाहिर की गई जनमत संग्रह की तो भला इस बार ऐसे तथाकथित चुनाव कराने के पीछे की मंशा ये कहकर जताना पड़ा कि यदि विकास कार्य किया है तो जनता के कहने पर विधानसभा चुनाव लड़ूंगा। इतना ही नहीं तथाकथित चुनाव आयोजक ने तो यहां तक कहकर वहां की आवाम को ब्लैकमेल किया गया कि 50 प्रतिशत से कम वोट मिलेंगे तो चुनाव नहीं लड़ूंगा।
अरे भाई किसे मूर्ख बनाने की कोशिश कर रहे हो वो भी फर्जी तरीके से घर - घर जाकर खुद के बनाये गए चुनाव अधिकारी के द्वारा टीन के डब्बे में खुद ही हां पर सही का निशान लगाकर जनमत हासिल करने के लिए। जनता भले ही डर के आगें कुछ न बोले वो अलग बात है। बुथकैप्चिंग के जरिये 50 तो क्या 100 प्रतिशत वोट पक्के हैं। लेकिन इन सब से किसे धोखा दिया जा रहा है। सही मायने में देखा जाए तो जनता ने सब कुछ समझ ही लिया है और दबी जुबान में कह भी रही है ये छल जनता के साथ नहीं बल्कि खुद से किया गया है। असली जंग तो अभी बाकी है मेरे दोस्त।
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