क्या एक तराजू में तुल पायेंगे मेंढक?
अश्वनी बडगैया अधिवक्ता
स्वतंत्र पत्रकार की कलम से
कटनी। प्रकृति का साश्वत नियम है कि समय का पहिया घूम कर फिर वहीं पहुंचता है जहां से चला था। एक समय था जब कांग्रेस की अराजक तानाशाही से आजिज होकर विपक्षी पार्टियों ने एलायंस बनाकर कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ा था । जिसमें सफलता भी मिली थी। बीच में गठबंधन की सरकारें भी बनी थीं। फलस्वरूप कांग्रेस को भी गठबंधन की सरकार बनानी पड़ी थी। मगर आदत से मजबूर (एक छत्र राज करने का गुरूर) कांग्रेस गठबंधन को हेंडिल नहीं कर पाई। सरकार में शामिल दलों की स्वेच्छाचारिता तथा कांग्रेस नेतृत्व का अपने ही प्रधानमंत्री की अवमानना का परिणाम यह हुआ कि 2014 में कांग्रेस गठबंधन सत्ता से बाहर हो गया। कांग्रेस के अहंकार की कोख से ही तो जन्म हुआ था तृणमूल कांग्रेस, एनसीपी और वाईएसआरसीपी का।
मगर किसने सोचा था कि महज 9 साल राज करने में ही भारतीय जनता पार्टी इतना बौरा जायेगी कि उसके नेतृत्व वाली सरकार राजकाज छोड़कर विपक्षी नेताओं को व्यक्तिगत शत्रु मानकर संवैधानिक संस्थाओं के जरिए दुश्मनी भंजायेगी। आम आदमी मंहगाई से त्राहि-त्राहि करेगा, पढ़ा-लिखा वर्ग हाथों में डिग्रियां लिए मारा - मारा फिरेगा और सरकार हिन्दू - मुस्लिम की अफीम पिला कर अपना उल्लू सीधा करेगी। सरकारी नौकरियां पैदा करने के बजाय सरकारी संस्थानों को ही निजी हाथों में बेचने लगेगी । देश छद्म लोकतंत्र की आड़ में हिटलरशाही की ओर कदम बढ़ा देगा। सरकार की रीति-नीति पर सवाल उठाने वालों को देशद्रोही के कतार में खड़ा किया जाने लगेगा।
देश में बढ़ती मंहगाई, बेरोजगारी, भृष्टाचार, वैमनस्यता, साम्प्रदायिक हिंसात्मक घटनाओं से त्रस्त हो चुकी जनता की नब्ज को पहचान कर भाजपा के खिलाफ विपक्ष एकजुट हो रहा है। जो स्थिति कभी कांग्रेस विरुद्ध अन्य हुआ करती थी वही आज भाजपा अगेंस्ट अदर्स हो गई है। भाजपा का मुकाबला करने के लिए ही तमाम अन्तरविरोध से ग्रसित पार्टियां एक बैनर तले एकत्रित हो रही हैं।
अभी 28 दलों ने "इंडियन नेशनल डवलपमेंट इनक्लूसिव अलायंस" (I. N. D. I. A. इंडिया) नाम से नया गठबंधन बनाया है। जिसकी तीसरी बैठक गुरुवार 31 अगस्त 2023 को मुंबई स्थित "होटल ग्रैंड हयात" में होने जा रही है। जिसमें कांग्रेस के साथ ही समाजवादी पार्टी (सपा), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), जनता दल यू (जदयू), तृणमूल-कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), आम आदमी पार्टी (आप), शिवसेना, राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), प्रमुख रूप से शामिल हैं। बहुजन समाज पार्टी (बसपा), बीजेडी, अकाली दल, बीआरएस, वाईएसआरसीपी जैसी पार्टियां एकला चलो वाली नीति पर चलने की सोच रही हैं। खबर है कि इंडिया गठबंधन बाकी बचे दलों को भी अपने साथ आने के लिए चर्चा कर रहीं हैं।
इंडियन नेशनल डवलपमेंट इनक्लूसिव अलायंस" (I. N. D. I. A. इंडिया) के सूत्रधारों में नीतीश कुमार, शरद पवार, ममता बनर्जी, लालू प्रसाद यादव, उध्व ठाकरे को शामिल किया जा सकता है। बड़ा दल होने के नाते कांग्रेस लीडिंग पोजीशन में है। मुंबई में होने जा रही इंडियन नेशनल डवलपमेंट इनक्लूसिव अलायंस" (I. N. D. I. A. इंडिया) की बैठक में जिन अहम बिन्दुओं को तय किया जाना है (जिन पर गठबंधन का अस्तित्व स्थिर करेगा) उनमें प्रमुख रूप से संयोजक का चयन, सीटों का बटवारा, सचिवालय का स्थान शामिल है। इसके साथ ही 2024 में होने वाले संभावित लोकसभा चुनाव तक हर महीने किसी न किसी राज्य में रैली निकालने पर भी निर्णय लिया जा सकता है।
आज के समय में प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साथ ही सोशल मीडिया को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। वह भी तब जब देश का निन्यानवे फीसदी प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया सरकार और सत्ता पार्टी की गोद में बैठकर विरुदावली का गायन कर रहा हो। इसलिए सोशल मीडिया पर प्रचार - प्रसार पर जोर देने के मद्देनजर कम्युनिकेशन, स्ट्रेटजी और साझा प्रचार (3 टास्क फोर्स) को भी तय किया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार बैठक में खास तौर पर गरीबी, मंहगाई, बेरोजगारी के साथ ही एसटी - एससी समुदाय पर फोकस रहेगा।
जुड़ेगा भारत - जीतेगा इंडिया* _का नारा लगाने से दिल्ली नहीं जीती जा सकती। उसके लिए जरूरी है गठबंधन में शामिल दलों के नेताओं का अपने अहंकार को हवन कुंड में भस्मीभूत करना।_ *अहंकारम स्वाहा इदम न मम*। _क्या यह संभव हो पायेगा - पूछता है इंडिया_।
चलते - चलते
गरीबी, मंहगाई, बेरोजगारी पर चर्चा - होटल ग्रैंड हयात में - खर्चा तकरीबन ढाई लाख रुपये (एक रात का)।
चाय - 1200 रुपए, काफी - 1700 रुपए, नाश्ता - 11500 रुपए, लंच/डिनर - 17500 रुपए, कमरा - 35000 रुपए
ये है ग़रीबों की गरीबी पर मात्र चर्चा करने वाले नेताओं की गरीबी का एक दिन का खर्च
Post a Comment