कस्बाई बस्ती में कद्दावर नेता की अगवानी
कटनी। बकौल भाजपा नेता नरेन्द्र तोमर - चुनाव संजय पाठक का नहीं, चुनाव शिवराज सिंह चौहान का नहीं, चुनाव भाजपा का है - मिल कर लड़ें - विजयी बनाएं। अपने आप में बहुत कुछ कहता है। जिला मुख्यालय कटनी छोड़कर नरेन्द्र तोमर की बैठक कस्बाई बस्ती बरही में क्यों आयोजित की गई? यह भी अपने पीछे बहुत कुछ कह रही है।
याद करें अभी गत माह ही तो विधायक संजय पाठक ने कहा था कि वह चुनाव लडे या ना लडे इसके लिए क्षेत्र की जनता के बीच मतदान कराकर निर्णय लिया जायेगा। संजय ने ऐसा कुछ भी कहा था कि यदि पचास फीसदी से अधिक जनमत पक्ष में होगा तभी चुनाव लडूंगा अन्यथा चुनाव नहीं लडूंगा।
राजनीतिज्ञों का कहना है कि स्वभावत: प्रभुता से मदमस्त आदमी ऐसी हरकतें कर जाता है मगर जब मस्ती उतरती है तो हकीकत समझ आती है। शायद ऐसी ही कुछ किस्सागोई हुई संजय के साथ।* _ना नौ मन तेल होगा ना राधा नाचेगी। ना पचास फीसदी से ज्यादा जनमत मिलेगा ना संजय चुनाव लडेगा।
मतलब अपने हाथों अपने ही पैर काट लेना। सोचने वाली बात है कि जब ऐन चुनाव में 60 - 65 फीसदी से अधिक वोटिंग नहीं होती तो जनमत संग्रह में सौ फीसदी वोटिंग कैसे संभव है !इसी तरह चुनाव जीतने वाले को पडे कुल मतों का 50 फीसदी वोट नहीं मिल पाता तो फिर !
अब इस कहे को सुधारा कैसे जाय कि सांप भी मर जाय और लाठी भी ना टूटे। इससे निजात पाने का एक ही तरीका था ग्रीन कारीडोर पर रेड कारपेट बिछाना। वही किया संजय पाठक ने।
विजयराघवगढ़ विधानसभा क्षेत्र की कस्बाई बस्ती बरही में भाजपा के कद्दावर नेता नरेन्द्र तोमर को बुलाकर अपने नाम पर मोहर लगवाना। वरना अइसन का बा कि तोमर यह कहे कि चुनाव संजय का नहीं है जबकि अभी तो संजय को चुनाव मैदान में उतारने की घोषणा भाजपा ने की नहीं।
नरेन्द्र तोमर ने एक ही नाम संजय का क्यों लिया? क्या विजयराघवगढ़ विधानसभा क्षेत्र में टिकिट का कोई दूसरा दावेदार नहीं है ? कहीं तोमर ने अपरोक्ष रूप से टिकिट के दूसरे दावेदारों को यह तो नहीं कह दिया कि दुम दबा कर घर बैठो फालतू बंदरकूदनी करने की जरूरत नहीं है।
जहां तक तोमर का यह कहना कि चुनाव शिवराज सिंह चौहान का नहीं है। मतलब विधानसभा चुनाव शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई में नहीं लड़ा जायेगा। नरेन्द्र ने एक तरह से दिल्ली वाली भाजपाई किचन से आने वाली खबर कि 2023 का विधानसभा चुनाव शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में लडने के बजाय सामूहिक नेतृत्व में लडा जायेगा पर मोहर लगा दी है।
अश्वनी बडगैया अधिवक्ता
स्वतंत्र पत्रकार
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