उत्तर प्रदेश के चार विधायकों ने कटनी में डाला डेरा
कटनी। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव को तीन माह बचे हैं। वैसे तो भाजपा ने 2018 में पराजित हुई 39 सीटों के उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है, जिसमें कटनी की बड़वारा विधानसभा शामिल है।
गौरतलब है कि विगत दिनों भाजपा की केंद्रीय सर्वे टीम गुपचुप तरीके से सर्वे करने पहुंची थी। सर्वे टीम को निराशाजनक परिणाम लेकर दिल्ली हाईकमान की ओर रुख करना पड़ा था। इसी कड़ी के बाद अब भाजपा ने अपने उत्तर प्रदेश के चार विधायकों को एक सप्ताह के लिए कटनी में डेरा डालने के लिए भेज दिया है। सुत्रों पर भरोसा करें तो कटनी के चारों विधायक को उत्तर प्रदेश से आये चारों विधायकों के साथ में रहना तो दूर मिलने की अनुमति भी नहीं है।
खैर आगें बताते चलें कि कटनी की चारों विधानसभा में मुड़वारा विधानसभा जिला मुख्यालय में होने के कारण अहम मानी जाती है। राजनीति इसी विधानसभा से शुरू होकर अन्य तीन विधानसभा की ओर रुख करती है। इस बार विधानसभा चुनाव में भाजपा की सांसे फूलती हुई दिखाई दे रही है तो वहीं कांग्रेस पार्टी किसी तरह का जोखिम उठाने के मूड में नहीं है।
उत्तर प्रदेश से आये चारों विधायक कटनी की चारों विधानसभा मुड़वारा, बड़वारा, विजयराघवगढ़ एवं बहोरीबंद में सर्वे करना शुरू कर दिये हैं। हालांकि भाजपा ने बड़वारा से धीरेंद्र सिंह को टिकट देकर उम्मीदवारी तो पक्की कर चुकी है। फिर भी पिछली हार से सबक लेते हुए बड़वारा की कौन सी कड़ी भाजपा प्रत्याशी के लिए खाई का काम करेगी उसे पाटने के लिए जनता के मूड को समझने की कोशिश की जायेगी। मुड़वारा, बहोरीबंद से कहीं ज्यादा संघर्ष विजयराघवगढ़ के लिए उत्तर प्रदेश से आये विधायक राजीव तरारा को करना पड़ सकता है।
विजयराघवगढ़ भाजपा विधायक संजय पाठक अब अकेले उम्मीदवार नहीं माने जा रहे हैं। एक तरफा राज अब लगभग समाप्ति की ओर जाता हुआ नजर आ रहा है। जिस तरह से संजय पाठक का विरोध वहां की आवाम में देखने को मिल रहा है उससे इस बात का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है कि यदि भाजपा ने इस बार संजय पर भरोसा किया तो बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। क्योंकि इस बार चुनाव में संजय से कहीं ज्यादा भरोसा अन्य साफ छवि के नेताओँ का नाम जनता के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है जो पार्टी हित में होने से इंकार नहीं किया जा सकता।
बात यदि संजय की करें तो संजय खुद चुनाव के पहले ही आधी पराजय मान बैठे हैं। जिसका उदाहरण उन्होंने खुद जनमत संग्रह की बात करके पराजय होने का नमूना पेश कर दिया है। विजयराघवगढ़ में विधायक पद के लिए भाजपा में यदि योग्य उम्मीदवार की बात करें तो राम नारायण सोनी ( गुड्डा ) तो वहीं गणेश राव भी दमदार प्रत्याशी के रूप जाने जाते हैं। इनके अलावा राजेश गर्ग कांग्रेस को धूल चटाने में सक्षम प्रत्याशी के रूप में डंका बजा देने का मादा रखते हैं। नंबर वन में पहचाने जाने वाले संजय ने अपने ही पैर में कुल्हाड़ी मारकर खुद को अब तीसरे पायदान पर लाकर खड़े कर चुके हैं।
जनता के मन की बातों पर भरोसा करें तो संजय अपने पैसों के दम पर कुछ भी कर गुजरने का मादा जरूर रखते हैं। लेकिन जनता इस बार विजयराघवगढ़ में प्रत्याशी और वहां की तश्वीर में बदलाव देखना चाहती है। भाजपा के लिए विजयराघवगढ़ से गणेश राव, राम नारायण सोनी, राजेश गर्ग ये ऐसे नाम है जो टिकट के प्रबल दावेदारी के लिए जनता के बीच चर्चायमान मान है। इनमें से पार्टी किसी को भी टिकट देती है तो भाजपा की ये सीट जीतने से कोई माई का लाल नहीं रोक सकता। ये हम नहीं विजयराघवगढ़ की जनता की आवाज है। अभी भले ही जनता संजय के डर से सामने ना आये लेकिन चुनाव परिणाम में सब कुछ साफ - साफ नजर आ जायेगा।
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