साहब से बात हो गई है आपका महीना बंध जायेगा.?
कटनी। यातायात पुलिस के रहते हुए भले ही व्यवस्थायें बेपटरी होती रहे लेकिन अवैध उगाही में कोई कमी नहीं आना चाहिए..? यदि किसी को यातायात सिपाही की उगाही से परेशानी है तो चिंता मत करिए सिपाही साहब से ( यातायात प्रभारी ) सेटिंग कराने का भी ठेका लेते है।
जुटाई गई जानकारी के अनुसार शायद ही ऐसा कोई दिन गुजरता हो जब शहर में जाम की झाम से नागरिकों को दो - चार न होना पड़ता हो। शहर में जब व्यवस्था की बात आती है तो यातायात विभाग बल की कमी का रोना रो कर अपना मन तो हल्का कर लेता है। लेकिन खून के आंसू उन शहरवासियों को बहाना पड़ता है जो आये दिन यातायात की बदइंतजामी के कारण जाम में फंस कर कभी अपने ऑफिस जाने में लेट होते है तो कभी स्कूली बच्चों की बस आने जाने में जाम खुलने के इंतजार में देर से स्कूल पहुंचने पर टीचर के पनिशमेंट से होकर गुजरना पड़ता है। इतना ही नहीं आलम तो यहां तक देखने को मिलता रहता है जब किसी की सांसे बचाने के लिए एम्बुलेंस को घंटो जाम में फसे रहना पड़ता है। मजाल है कोई यातायात या कोई और पुलिस कर्मी एम्बुलेंस को अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए जाम से निकलने के लिए मुक्ति दिलाने आ जाए। रही बात यातायात थाना प्रभारी की, वो तो ईद के चाँद जैसे है। चाँद भी कम से कम नजर आ ही जाता है ये साहब सड़क पर कब नजर आए ये मुझे याद ही नहीं है? अरे भाई याद भी तब रहेगा न जब कभी नजर आते हो?
खैर अब आपको मजेदार बात बताते चले कि कुछ यातायात प्वाइंट मलाईदार माने जाते है। सूत्रों पर भरोसा करें तो मलाईदार प्वाइंट पर ड्यूटी लगवाने के लिए तैनाती करने वाले को ज्यादा नहीं थोड़ा बहुत खुश करना होता है। खुश करने से आशय तो समझ ही गए होंगे।
आगे बताते चलें कि मलाईदार माने जाने वाले खास प्वाइंट नंबर एक खुद यातायात थाने के बाहर, नंबर दो दक्षिण दिशा की ओर बढ़ेंगे तो झिंझरी जेल के पास, अब इसके बाद मिशन चौक भी आता है, लेकिन जानकर थोड़ा कम मलाईदार बताते है। अब इसी के आगें जाते जाएंगे तो चांडक चौक, पन्ना मोड़ और झिंझरी समेत ये वो ट्रैफिक प्वाइन्ट है जहाँ से गुजरने वाले ट्रकों को शहर के अंदर से प्रवेश करने कराने के लिए प्रत्येक बड़े वाहन से सौ से लेकर दो सौ रुपये तक प्रवेश शुल्क चुकाना पड़ता है। सबसे बड़ी और मजेदार बात ये है कि ये काली कमाई झिंझरी प्वाइंट पर तैनात सिपाही हाथ तक नहीं लगता कहीं हाथ न गंदे हो जाये.? इसलिए बकायदा एक निजी तौर पर वसूली कर्ता राजा सिंधी नामक व्यक्ति को मनरेगा मजदूरी के हिसाब से रखा गया है। अब ये मत पूंछ लेना कि प्रवेश शुल्क वसूलना वैध है या अवैध? हां अगर आप पत्रकार है और यदि आप मलाईदार प्वाइंट पर खड़े बस हो गए तो चाय, पान सिगरेट, गुटखा जैसे अन्य किस्म की विलासता भरी वस्तुओं से मेहमान नवाजी में कोई कमी न रह जाये इस बात का पूरा - पूरा ख्याल रखा जाएगा। और प्वाइंट पर तैनात सिपाही आपको पूरा आश्वासन देगा कि साहब से ( यातायात प्रभारी ) आपकी बात कर ली जाएगी और आपका काम हो जाएगा।
एक बात तो साफ हो जाती है कि इतने यकीन और विश्वास के साथ काम हो जाएगा कि बात कहना थाना प्रभारी पर सवालिया निशान लगना लाजमी है। कहते है जब आग लगती है तभी तो धुंआ उठता है? यानि कि यातायात सिपाहियों द्वारा की जा रही प्रवेश शुल्क के नाम से अवैध वसूली कहीं न कहीं प्रभारी की मौन स्वीकृति की ओर इशारा कर रही है। नहीं तो सिपाही की इतनी हिम्मत तो नहीं कि खुलेआम सड़क पर खड़े होकर ट्रक ड्राइवरों से उगाही करने की हिम्मत और अपनी नोकरी को खतरे में डालने का खतरा मोल ले।
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