एक के बाद एक दिग्गज नेता भाजपा को कर रहे टाटा बाय - बाय, भाजपा की बढ़ सकती है मुश्किलें
कटनी। जैसे जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है दोनों बड़ी पार्टी भाजपा और कांग्रेस में उथल पुथल शुरू हो गई है। जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी में वरिष्ठ और दिग्गज नेता भाजपा का दामन छोड़ रहे है उसे देखकर लगता है मध्यप्रदेश में भाजपा के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी होने वाली है। 15 माह की कमलनाथ सरकार को जोड़ तोड़ कर कांग्रेस मुक्त करने की रणनीति अब उलटी पड़ती हुई नजर आ रही है। जिस तरह से एक के बाद एक कटनी से लेकर महाकौशल इलाके से तमाम दिग्गज भाजपाई नेता उपेक्षा की शिकायत का शिकार होकर अन्य विकल्प तलाशते हुए भाजपा का बायकॉट कर कांग्रेस में शामिल होने की जुगत भिड़ाने में लगे हुए है उससे एक बात साफ हो जाती है कि मध्यप्रदेश में भाजपा को सरकार बनाने के लिए लोहे के चने चबाना जैसा होगा। आपको बता दें कि भारतीय जनता पार्टी से बगावत करने और कांग्रेस में जगह तलाशने वाले कोई और नहीं बल्कि कांग्रेस के बगावती नेता है जो अब फिर से घर वापसी के लिए कमलनाथ की ओर टकटकी लगाए निहार रहे है।
गौरतलब है कि भाजपा के विजयराघवगढ़ विधानसभा के पूर्व विधायक ध्रुव प्रताप सिंह ने कुछ दिनों पहले ही भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे चुके है और भाजपा जिलाध्यक्ष के अलावा तमाम भाजपाइयों के मना मनौवल के बाद भी वापस भाजपा में आने से मना कर दिया। और तो और पिछले सप्ताह कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ से मुलाकात कर कांग्रेस में शामिल होने की बात पर मुहर भी लागा दी।
इसी तरह कटनी जिले की बहोरीबंद विधानसभा से भाजपा के ओबीसी नेता शंकर महतो ने भी भाजपा से किनारा करते हुए कांग्रेस की ओर अपना कदम बढ़ा दिया है। और कमलनाथ से मुलाकात करने का सोशल मीडिया में वीडियो वायरल होने से सियासत और भी ज्यादा गरमा गई है।
आपको बता दें कि सोशल मीडिया में भाजपा नेता शंकर महतो की दिग्विजय सिंह और उनके बेटे जयवर्धन सिंह के साथ एक तस्वीर तेजी से वायरल हो रही है जिससे शंकर महतो के जल्द ही कांग्रेस में शामिल होने के कयास लगाये जा रहे हैं। विजयराघवगढ़ के पूर्व विधायक ध्रुव प्रताप सिंह के साथ ही शंकर महतो के भी कांग्रेस ज्वाइन करने की चर्चाएं तेज हो गई हैं।
बहोरीबंद के दमदार नेता माने जाते हैं शंकर महतो
आपको बताते चलें कि शंकर महतो कटनी जिले में बहोरीबंद विधानसभा के प्रभावशाली नेता माने जाते हैं, जो लोधी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। इतना ही नहीं शंकर महतो केंद्रीय मंत्री पहलाद पटेल के करीबियों में भी गिनती होती है। शंकर महतो बहोरीबंद जनपद पंचायत के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। इसके अलावा वे पूर्व मंडल अध्यक्ष एवं जिला उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं। क्षेत्र में शंकर महतो की पिछड़े वर्ग में अच्छी खासी पकड़ मानी जाती है। जिससे निश्चित ही आने वाले चुनाव में बीजेपी को बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
सीधी सी बात है जब अपने ही घर में तवज्जो ना मिले तो स्वाभाविक तौर पर अन्य विकल्प तलाशना ही पड़ता है। इसी तरह अपनी ही पार्टी से उपेक्षा का दंश भोग रहे एक के बाद एक नेता कटनी से लेकर महाकौशल तक में भाजपा की उंगली छोड़ कांग्रेस का हाथ थामने के लिए निकल पड़े है। जिसके बाद अब भाजपा के लिए आने वाले चुनाव में मुश्किलें और भी ज्यादा बड़ी होती हुई नजर आ रही है। वैसे भी जिस तरह से सर्वे की खबरें आ रही है उससे तो यही अनुमान और कयास लगाए जा रहे है कि इस बार 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार निश्चित है? और कमलनाथ की कांग्रेस सरकार बनना तय है।
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