संजय पाठक को दुर्योधन कहने वाले ध्रुव प्रताप सिंह क्या निभाएंगे भीम की भूमिका?
कटनी। राजनीति के अखाड़े में अवसरवादी पहलवान ( नेता ) किसी का सगा नहीं हो सकता? ऐसे नेता सिर्फ अपने फायदे की तलाश में रहते है। उन्हें जहाँ फायदा दिखा उसी के हो जाते है। ऐसे नेताओं का न तो कोई ईमान होता है, और न ही कोई धर्म। कुछ ही माह बचे है मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को। अब जैसे - जैसे चुनाव का वक्त नजदीक आ रहा है वैसे - वैसे अवसरवादी सफेदपोशों का स्वाभिमान जाग्रित होता दिखाई दे रहा है। मजेदार बात ये है कि जिस राजनीति पार्टी में रहते हुए चाहे वह सत्ता पक्ष हो या फिर विपक्ष की बात, एक दूसरे की टांग खींचे बिना इनका खाना तो क्या पानी भी हजम नहीं होता। अब आलम यह है कि जिस पार्टी को यह दलबदलू नेता पानी पी पीकर कोसते हुए नजर आते थे आज उसी पार्टी में शामिल होने के लिए साष्टांग दंडवत करते हुए पार्टी के हाईकमान के पास जाकर चरण वंदन करने में लगे हुए हैं।
बात अगर कटनी जिले की करें तो कुछ दिन पहले विजयराघव गढ़ विधानसभा के भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक ध्रुव प्रताप सिंह यह कहते हुए भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिये कि पार्टी उन्हें कोई तवज्जो नहीं दे रही थी। और ना ही वह जिस मान सम्मान के लायक अपने आप को समझ रहे थे उससे भी महरूम रखा गया? जिसके बाद भाजपा के पूर्व विधायक ध्रुव प्रताप सिंह कमल के फूल को ठुकराते हुए कमलनाथ का हाथ थामकर पंजा छाप कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ले ली।
सबसे मजेदार बात तो तब निकल कर सामने आई जब बिना विलंब किये भोपाल में कमलनाथ के हाथों कांग्रेस की सदस्यता लेते ही मंच से भाजपा प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा पर आरोपो की झड़ी लगा दी। ध्रुव प्रताप सिंह यहीं नही रुके, विजयराघवगढ़ भाजपा विधायक संजय पाठक को महाभारत में दुर्योधन के पात्र से नवाज कर रख दिया।
अब देखना और भी मजेदार होगा कि यदि कांग्रेस विजयराघवगढ़ से ध्रुव को टिकिट देती है तो क्या ध्रुव प्रताप सिंह भीम की भूमिका निभाते हुए दुर्योधन का पात्र निभाने वाले की जंघा ( चुनाव ) तोड़ पाएंगे?
यही हाल बहोरीबंद के भाजपा से ओबीसी नेता का रहा। उपेक्षा का रोना रोते हुए भाजपा प्रदेशाध्यक्ष पर अपमान जनक भाषा का प्रयोग करने का आरोप लगाते हुए भाजपा का ही त्याग करते हुए भाजपाई से कांग्रेसी हो गए। और अपनी ही विधानसभा बहोरीबंद भाजपा विधायक प्रणव पांडे को घेरते हुए भोपाल में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करते ही मंच से विधायक पर अवैध कारोबार और 50 से ज्यादा चल रही बसों की पोल खोलते हुए बखिया उधेड़ना शुरू कर दिए। लेकिन जब तक भाजपा को दरकिनार करते हुए कांग्रेसी नहीं हुए थे तब तक न तो भाजपा बुरी थी और न ही वहां का विधायक। इसे कहते है अवसरवादी नेता।
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