विवादों में घिरते दिख रहे भाजपा विधायक संजय पाठक !

कटनी/ वि. गढ़.। विजयराघवगढ़ तहसील में विधायक संजय पाठक की अगुवाई में बनाया जा रहा चर्चित तीर्थ स्थल और भगवान परशुराम प्रतिमा स्थापना हेतु किये जाने वाला भूमि पूजन का कार्यक्रम विवादों में घिरता नजर आ रहा है।

वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि कटनी जिले की विजयराघवगढ़ तहसील के ग्राम पंचायत हिनौता को वन विभाग द्वारा वन भूमि संरक्षण अधिनियम 1980 के प्रावधानों के तहत राजा पहाड़ पर सामुदायिक भवन, उचित मूल्य की दुकान और पानी की टंकी निर्माण के लिए खसरा नम्बर 1118 की भूमि का अंश भाग रकवा 0.97 हेक्टेयर यानी लगभग ढाई एकड़ आवंटित किया गया है।

जिस पर अवैधानिक तरीके से मद परिवर्तन कर जबरन दखलंदाजी करते हुए विधायक संजय पाठक द्वारा तीर्थ स्थल और भगवान परशुराम की प्रतिमा स्थापित कराये जाने के लिए मुख्यमंत्री द्वय शिवराज सिंह चौहान, योगी आदित्यनाथ और धर्माचार्य जूनागढ़ पीठाधीश्वर अवधेशानन्द गिरी को अंधेरे में रखकर उनके प्रभाव का गलत इस्तेमाल करने की कोशिश की जा रही है जो क्षेत्रवासियों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।

खबर है कि सारे क्षेत्र की चौपालों में इस बात की बतकही हो रही है कि विधायक संजय पाठक द्वारा जिस ठसक के साथ भूमि पूजन कार्यक्रम को पूरा कराये जाने का तामझाम फैलाया गया है तो क्या वह भूमि संजय पाठक की निजी जमीन है - शायद नहीं।

राजा पहाड़ वाली वह जमीन सरकारी और वन विभाग के अधिपत्य की जमीन है जिसमें से खसरा नम्बर 1118 का अंश भाग 0.97 हेक्टेयर जमीन ग्राम पंचायत हिनौता को सामुदायिक भवन, उचित मूल्य की दुकान और पानी की टंकी बनाने के लिए आवंटित की गई है न कि विधायक संजय पाठक को - न ही किसी भी प्रकार के ट्रस्ट को तीर्थ स्थल निर्माण और भगवान परशुराम की गगनचुंबी प्रतिमा स्थापित करने के लिए।

और अगर ऐसा नहीं है तो विधायक और ट्रस्टों के ट्रस्टी बतायें कि तीर्थ स्थल निर्माण और भगवान परशुराम प्रतिमा स्थापित करने के लिए राजा पहाड़ वाली जमीन वन विभाग द्वारा कब उन्हें आवंटित की गयी और कब उनके द्वारा उस जमीन का अधिग्रहण किया गया।

सवाल तो यह भी है कि विजयराघवगढ़ राजघराने के राजा पहाड़ का नाम बदल कर राम राजा पहाड़ करने से किसको फायदा होने वाला है जनता को या विधायक को ? राजा सरजू प्रसाद की विरासत को मिटाकर कहीं अपने अस्तित्व को बचाये रखने की साजिश तो नहीं है विधायक संजय पाठक की।

कहा जाता है कि राजा पहाड़ पर जहां तीर्थ स्थल निर्माण और भगवान परशुराम की प्रतिमा स्थापित की जानी है वहां पर लाखों पेड़ थे और वह भूमि छोटे झाड़ - बड़े झाड़ के जंगल में दर्ज थी। तो फिर जंगल काटने की अनुमति के पूर्व नया तीर्थ बनाने के लिए क्या एन जी टी (NGT) से अनुमति ली गई है और अगर ली गई है तो उस जंगल के जानवरों को कहां भेजा गया है । और यदि नहीं ली गई है तो वन विभाग ने अभी तक दोषियों के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं की है ?

एक बात तो आईने की तरह साफ दिखाई दे रही है कि तीर्थ स्थल निर्माण और भगवान परशुराम की प्रतिमा स्थापित किये जाने वाले भूमि पूजन का कार्यक्रम सरकारी नहीं है तो फिर क्या कारण है कि कलेक्टर, एस पी सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारियों का हुजूम जनता का काम छोड़कर निजी कार्यक्रम की सेवा में लगा हुआ है। सवाल फिर वही है कि क्या कारण है कि जिले के प्रशासनिक अधिकारियों का खिरका जनता की सेवा करने के बजाय पूंजीपति नेता की गुलामी करने में लगा हुआ है ?

जाहिर है कि भंडारे की ओछी राजनीति से जनता को तो कोई फायदा पहुंचने वाला है नहीं सिवाय टुकड़खोरी के - हां इसे विधायक संजय पाठक द्वारा अपनी नाकामियों को छिपाने की योजना जरूर कहा जा सकता है !

अश्वनी बडगैया अधिवक्ता

स्वतंत्र पत्रकार

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