सत्ता के नशे में चूर राजनेताओं ने किया धर्म गुरुओं का अपमान?

कटनी। सत्ता के मद में चूर राजनेताओं द्वारा धर्म गुरुओं को किस तरह चरण वंदना के साथ अपमानित किया जाता है इसका जीता-जागता नमूना है विजयराघवगढ़ के विधायक संजय पाठक द्वारा अखबारों में दिया गया विज्ञापन जो अपनी कहानी खुद बयां कर रहा है।
वैसे तो सच्चे धर्म गुरु मान-सम्मान-अपमान की सीमा से परे होते हैं फिर भी लोकाचार के नाते ही सही उनका मान-सम्मान बनाये रखना आमजन के साथ ही राजनेताओं का कर्तव्य होता है। मगर जो सत्ता के मद में चूर होकर हवा में उड़ रहा हो, जिसका लक्ष्य सत्ता की कुर्सी हथियाना हो वह धर्म गुरु को भी सत्ता की कुर्सी तक पहुंचने की सीढ़ी बनाने से नहीं चूकता।
श्री हरिहर तीर्थ क्षेत्र भूमि पूजन समारोह - राम कथा का विज्ञापन अखबारों में छपा है जिसमें सबसे नीचे संजय पाठक की तस्वीर छपी है। सबसे ऊपर बांये कार्नर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तथा दांये कोने पर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा की फोटो छपी है। इसी विज्ञापन में बांये कोने में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नीचे जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर पूज्यपाद स्वामी अवधेशानन्द गिरी जी महाराज - अध्यक्ष हिन्दू धर्म आचार्य सभा की तस्वीर तथा दांये कोने में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा के नीचे तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरू रामानंदाचार्य स्वामी श्री  रामभद्राचार्य जी महाराज की तस्वीर छापी गई है।
जो यह बताने के लिए पर्याप्त है कि संजय पाठक की नजर में अवधेशानन्द गिरी और रामभद्राचार्य से ज्यादा श्रेष्ठ और महत्वपूर्ण शिवराज और विष्णुदत्त हैं और हों भी क्यों ना सत्ता की चासनी का स्वाद शिव और विष्णु ही दिला सकते हैं पीठाधीश्वर नहीं।

                     अश्वनी बडगैया अधिवक्ता

स्वतंत्र पत्रकार

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