गर्मी की मार आमरस की बहार निरंतर सेवा राहगीरों के लिए
कटनी/ विलायतकला। समाज के लिए संत तो उदाहरण ही होते है यह बात त्यागी जी महाराज में मन वचन और कर्म से हर पल देखने मिलती है।
जहा गर्मी में लोग अपने घरों मे कूलर, ए.सी का आनंद लेते हैं वही त्यागी जी चिलचिलाती धूप मे राहगीरों को रोज बदल बदल कर कभी आमरस तो कभी नींबू का शर्बत, खीर,खिचङी, दलिया, मिठाई कुछ न कुछ रोज बाटते ही है। हर वर्ष लाखो लोगो तक त्यागी जी आश्रम विश्व सेवा समिति की यह सेवा हर पल पहुंच रही है।
बचपन से पचपन तक की सेवा
पहली बार आज से 33 साल पहले शुरु की थी बङवारा क्षेत्र की पहली पयाऊ सेवा। समय परिस्थिति बदली लेकिन सेवा चलती रही। स्थान भले बदला मगर सेवा बंद नहीं हुई। नौकरी, व्यवसाय के साथ भी निरंतर सेवा ही रही पहचान जो बचपन से बुढापे की यात्रा तक पहुंच रही हैं ।
पहले गृहस्थ जीवन अब तपस्वी बनकर कर रहे सेवा
त्यागी जी के परिचित जनो ने बताया कि त्यागी जी बचपन से ही समाज में अपने पवित्र कार्यो के लिए समर्पित थे। और पहले भी परिचय के मोहताज नहीं थे बस अंतर इतना है कि पहले माता, पिता, मित्रों, पत्नी, बच्चो के साथ थे आज ईश्वर का साथ है साथ ही कुछ पवित्र आत्माये।
आर.एस.एस में रहे सेवा प्रमुख
सौ वर्ष से चल रहे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ मे पूरा समय दिया। कटनी में रहे सेवा प्रमुख तन मन धन के साथ अपनी मुस्कान के लिए जाने जाते थे पंडित वीरेन्द्र कुमार तिवारी। आज पूरी दुनिया मे पवित्रता का परचम लहरा रहे हैं।
बिना चंदा अपना पेट काट कर रहे सेवा
जहाँ आज धर्म के नाम पर खूब धन एकत्र करने की होङ लगी है, वहीं बिना आडंबर के जीवन जीने वाले प्रकृति पर आश्रित प्रकृति पुत्र त्यागी जी जो की सच्चे कर्मयोगी है सब कुछ अपने हाथो ही करते है।
बच्चे युवा और बुजुर्ग देते हैं त्यागी जी का साथ हर पल
नन्हे मुन्ने बच्चो के लिए भाई मित्र की तरह तो बुजुर्गों के लिए बेटे की तरह तो युवा पीढ़ी के लिए कदम से कदम मिला कर चलने वाले दोस्त की तरह भाव है आपका। हर माँ के लिए बेटे और भाई की भूमिका निभाते चले आ रहे हैं त्यागी जी। समाज की हर जरूरतमंद परिवार की बेटी के विवाह में उपहारों की बौछार करते हैं। बिना किसी स्वार्थ के सब कुछ ईश्वर की योजना से बड़े अदभुत तरीके से चल रहा है सैकङो हजारो नही अब तक 5 लाख से अधिक लोगो तक सेवा पहुंच चुकी है और जारी है जब तक जीवन है।
विद्यालय के बच्चो को पढाई में आने वाली हर उपयोगी वस्तु हर पल उपलब्ध कराने का प्रयास।
कलयुग में बिना स्वार्थ अचंभित करने वाले कार्य कर रहे हैं
हर मानव को देवता बनाने का कारख़ाना चला रहे हैं चूंकि समाज देखकर अवश्य सीखता है। त्यागी जी का मानना है कि हम रहे न रहे हमारे कार्य जीवित रहने चाहिए।
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