जब बापजी नहीं उखाड़ पाये तो आपजी क्या उखाड़ेंगे

डेस्क न्यूज़। कर्नाटक का चुनाव परिणाम आते ही मध्यप्रदेश में भाजपा के भितरखानी खबरीलालों ने खबर चलाई है कि कर्नाटक के रिजल्ट से भाजपा सकते में, शिवराज मंत्रीमंडल में होगा फेरबदल, कुछ की होगी छुट्टी - कुछ की होगी एंट्री। दूसरे दिन ही अति आत्मविश्वास से भरे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के बड़े बोल सामने आये - भाजपा भारी बहुमत से जीत कर फिर करेगी सत्ता में वापसी।

जहां तक शिवराजी मंत्रीमंडल में फेरबदल की बात है तो इस तरह का शिगूफा विधायकों की नब्ज टटोलने के लिए समय - समय पर वायरल होता रहता है। इतना ही नहीं कभी-कभी तो मुख्यमंत्री तक को बदले जाने की भी खबरें आती रहती हैं। मगर अभी तक तो कुछ हुआ नहीं। हो भी नहीं सकता।

एक तो उस व्यक्ति का सपटीट्यूट आलाकमान के पास है नहीं। फिर 2014 में जिसके नाम की चर्चा प्रधानमंत्री प्रोजेक्ट करने तक चली हो उसे मुख्यमंत्री पद से हटाने का साहस हाईकमान कर  नहीं सकता। हां मंत्रीमंडल की कमजोर कड़ियों का बदला जा सकता है। मतलब ट्रांसफर बदलने की जगह टिमटिमाते बल्व जरुर बदले जा सकते हैं।

दक्षिणी प्रदेश का चुनावी नतीजा आते ही सत्ता से बाहर हुई पार्टी के तथाकथित अंध विश्वासियों द्वारा जाति - धर्म विशेष के साथ ही हिन्दुओं को भी कोसा जाने लगा है। हिन्दुओं पर चुनाव हरवाने का आरोप लगाते हुई पोस्टें सोशल मीडिया में वायरल की जा रही हैं। छद्म राष्ट्रवादिता तथा धर्म के नाम पर हिन्दुओं की भावनाओं को भड़काने की मुहिम चलाने की तैयारी किये जाने की भी खबरें आ रही है।

कर्नाटक में भले ही साहब की तकरीबन 36 रैली, 38 रोड शो, अमर्यादित भाषा, धार्मिक इस्तेमाल, कश्मीर फाइल्स, केरल स्टोरी जैसी प्रोपोगंडात्मक फिल्म चुनावी नैया पार नहीं लगा पाई हो मगर ऐ सब मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान में जरूर कारगर होगीं इसका - मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास।

फिर जिस पार्टी के साथ देश के सबसे बड़े अनरजिस्टर्ड संगठन की समर्पित टीम, मोटा भाई जैसे बिचौलिए, बाबा बुलडोजर जैसों का आशीष, पूंजीपतियों की फौज और बिकाऊ मीडिया का साथ हो तो वह चुनाव लडे बिना भी सरकार बनाने का माद्दा रखती है।

मध्यप्रदेश में तो ठठरी के बंधे तथाकथित कथावाचकों की फौज हिन्दुओं का ध्रुवीकरण करने के लिए भागवत कथा प्रवचन के लिए उतारी जा चुकी है। पैसों की दम पर राजनीति करने वालों के द्वारा हलवा, पुडी, गमछा, रुपैया की भेंट देने का सिलसिला भी चालू हो ही चुका है। जातीय समीकरण को साधने के लिए सरकार के मुखिया द्वारा सरकारी रुतबे से जाति आधारित महाकुंभ आयोजित किए जा रहे हैं। उनके कल्याण बोर्ड बनाये जा रहे हैं। बोर्ड के अध्यक्ष को कैबिनेट मंत्री के पदीय दर्जे से नवाजे जाने की बात कही जा रही है।

मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन, लाडली लक्ष्मी, लाडली बहना जैसी योजनाएं तो चल ही रही हैं फिर भी किसी प्रकार की रिस्क नहीं लेने के लिए पार्टी हाईकमान द्वारा सांसद, विधायक को अपने-अपने क्षेत्र में जाकर सक्रियता के साथ जनता का ध्यान मंहगाई, बेरोजगारी जैसे तमाम ज्वलनशील मुद्दों से हटाने के लिए तथा आर्टिकल 370, राम मंदिर, तीन तलाक जैसे गड़े (मुरदों) मुद्दों को जनता का माइंड वाश कर ठूसने का अभियान चलाने की योजना अंतिम चरण में होने की खबर भितरखाने से मिल रही है।

राम तो तकरीबन - तकरीबन अपने धाम पहुंच ही गये हैं। इसलिए अब राम की जगह पूरा-पूरा भरोसा है कि बजरंग बल का सहारा भले ही न मिले परन्तु बजरंग दल का सहारा तो मिलेगा ही मिलेगा ।

                           चलते-फिरते

2020 में जिसने साजिशन श्रीमंत को दलबदल कराकर सत्ता का मार्ग प्रशस्त कराया था प्रदेश में उसी तथाकथित बंटाधारी चाणक्य की राजनीतिक सक्रियता एक बार फिर सत्तारूढ़ कराने में मदद करेगी। इसका भी पूरा है विश्वास - मन में है विश्वास।

अश्वनी बडगैया अधिवक्ता (स्वतंत्र पत्रकार )

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