अंधेरगर्दी और अंधेरा दोनों कायम रखने की कवायद कबूतरों को फांसने शिकारियों के जाल मय दाने बिछाने को तैयार चुनाव पूर्व रखरखाव शुरू
न्यूज़ डेस्क। विधानसभा - लोकसभा चुनाव के लिए टिकिट वितरण वाला पतझड़ी मौसम शुरू हो उसके पहले प्री मानसून मेंटेनेंस की तरह विधायक और सांसदों द्वारा भी प्री इलेक्शन मेंटेनेंस शुरू किया जा चुका है । हिन्दुत्व विचारधारा के वोटरों का ध्रुवीकरण करने के लिए तथाकथित हिन्दुत्ववादी कथावाचकों की फौज को मैदान में उतार दिया गया है। वे खुद भी अब चुनाव तक जनता की मूलभूत समस्याओं पर चर्चा करने के बजाय लोगों को भावनात्मक ब्लेकमेल करने वाले कामों में सक्रिय रहेंगे तथा भाट और चारण की सक्रियता से सोशल मीडिया मय फोटो उनके क्षेत्र में किए जा रहे प्रमुख कार्यों से भरा हुआ मिलेगा।
_माननीयों के कामों में शुमार हो रहे हैं_
फलाने के यहां आयोजित विवाह समारोह में उपस्थित हो कर नवयुगल को आशीर्वाद देना। फलाने की मृत्यु के बाद उनके निवास पर जा कर शोकसंतप्त परिवार को सांत्वना देना । ढिमाके गांव में चल रही कथा में उपस्थित होकर कथा श्रवण की व गुरु जी से आशीर्वाद लिया। फलाने चल समारोह या शोभा यात्रा में उपस्थित होकर श्रद्धालुओं पर पुष्पवर्षा की। ढिमाके के द्वारा आयोजित भजन संध्या में उपस्थित होकर भजनों का आनंद लिया। आज फलाने मंदिर में पूजा अर्चना कर क्षेत्र वासियों के लिए सुख समृद्धि की कामना की।
कल फलाने के नव निर्मित प्रतिष्ठान का उद्घाटन करना है तो परसों ढिमाके के यहां आयोजित भंडारे में जाकर प्रसाद ग्रहण करने का कार्यक्रम तय हुआ है। अपने कार्यालय पर फलाने कार्यकर्ता का जन्मदिन मनाया या श्रध्दा सुमन अर्पित किया गया। भोपाल - दिल्ली में फलाने - ढिमाके मंत्री से मिलकर क्षेत्र विकास पर चर्चा कर पत्र सौंपा गया । राष्ट्रीय या सामाजिक त्योहार पर क्षेत्र वासियों को शुभकामनाएं दीं। ढिमाके राष्ट्रीय नेता की जयंती व पुण्यतिथि पर शत - शत नमन अर्पित करता हूं। समस्या ले कर आए फलाने क्षेत्र के वासीयों की समस्या सुनी व जल्द निराकरण का आश्वासन दिया।
राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रोपेगैंडा तंत्र की सक्रियता बढ़ा दी गई है। पाखंड के नये - नये लीलाधारियों की लीलाओं को कैमरे और कलम में समेटने के लिए गुलाम कलमधारी कैमरा व कलम सम्हाले निकल पड़े हैं। पौने पांच साल तक वोटरों को अपने पैरों तले रौंदने वाले गिरगिटानों को मात देते नेता लीलाधारी बाबाओं के चरणों की आरती उतारने में व्यस्त होने लगे हैं। जगह-जगह मेला महोत्सव आयोजित कर हलवा - पुडी - गमछा - रुपैया दिए जाने का भंडारा आयोजित किया जा रहा है। भले ही इसकी आड़ में नेताओं द्वारा झाड़ काटे जा रहे हों।
कुल मिलाकर हालात यह हैं कि जनता मूलभूत मुद्दों - मंहगाई, बेरोजगारी जैसी तमाम जिम्मेदारियों पर सवाल उठाए उसके पहले ही उसे फर्जी राष्ट्रवाद, हिन्दुत्व जैसी भावनात्मक बातों में उलझाने के लिए विरोधियों को गरियाने, छापे डलवाने, मौका मिले तो दंगा-फसाद करवाने के कार्यक्रम भी शुरू हो चुके हैं। सूत्र तो यहां तक संकेत दे रहे हैं कि तैयारी तो यहां तक कर ली गई है कि अगर तनिक भी ऐसा लगे कि बाजी हाथ से फिसल सकती है तो हमले करवाने से भी परहेज न किया जाए। ताकि इबलीस के हुक्म के मुताबिक बिना नागा अंधेर और अंधेरा दोनों क़ायम रहें!
अश्वनी बडगैया अधिवक्ता
स्वतंत्र पत्रकार
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