देर आयत दुरुस्त आये, मामा ने चुनावी समीकरण साधने खुद सम्हाली कमान
कटनी। शासकीय महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य आर के वर्मा द्वारा कालेज में अध्ययनरत छात्राओं के साथ की गई अशोभनीय हरकतों की शिकायत के हफ्तों बाद जांच प्रक्रिया की जलेबी में लपेट कर दोषी को केवल अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा विभाग जबलपुर अटैच कराने को अपने-अपने सिपहसलारों के माध्यम से कलेक्टर और स्थानीय विधायक ने खुद को महिमामंडित कराने में कोई कोर कसर नहीं रखी।
ना तो कलेक्टर ने ना ही क्षेत्रीय विधायक ने आरोपी प्राचार्य को निलंबित करने के लिए कोई पत्र लिखा ना ही स्थानीय पुलिस ने आरोपी प्राचार्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की ज़हमत उठाई । मामा की लाड़ली बहना की लाड़ली लक्ष्मियों (भांजियों) को न्याय मिलने की सारी संभावनाओं पर पलीता लगाने में कलेक्टर, स्थानीय विधायक और पुलिस ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी।
यहां तक कि उच्च शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों ने भी आरोपी प्राचार्य डॉ आर के वर्मा को बरही से जबलपुर अटैच कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली थी । इन सबके बीच यही सवाल बार बार कौंध रहा था कि उत्पीड़ित छात्राओं को न्याय मिलने का रास्ता आर के वर्मा के बिना निलंबन और बिना एफआईआर कैसे तय होगा?
पीड़ित छात्राओं की इस पीड़ा को खरी - अखरी ने अपने आलेख में शामिल करते हुए लिखा कि समुचित न्याय के लिए अब लाड़लियों की एकमात्र आशा केवल मुख्यमंत्री मामा शिवराज पर टिकी हुई है। क्या वे स्वमेव संज्ञान लेते हुए आरोपी प्राचार्य को निलंबित और उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए कार्रवाई कराना सुनिश्चित करेंगे ?
और लाड़लियों के मामा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी लाड़ली भांजियों को निराश नहीं किया। उन्होंने त्वरित संज्ञान लेकर न केवल आरोपी प्राचार्य आर के वर्मा को निलंबित कराया बल्कि बरही पुलिस को भी आरोपी प्राचार्य डॉ आर के वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए घुटना टेक होने मजबूर कर दिया। वरना जो हुआ वह कलेक्टर, क्षेत्रीय विधायक और स्थानीय पुलिस के रहते संभव नहीं लग रहा था।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आरोपी प्राचार्य आर के वर्मा के निलंबन की सूचना को खुद अपने ट्विटर पर टैग कर साझा किया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का यह कदम भले ही आगामी चुनाव के मद्देनजर किया गया हो मगर है तो सराहनीय।
स्वतंत्र पत्रकार
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