कूटरचित तरीके से भूमिस्वामी हक में दर्ज तालाब पुनः शासकीय मद में होगा दर्ज, शासकीय भूमि के संरक्षण की दिशा में न्यायालय कलेक्टर ने दिया महत्वपूर्ण अंतरिम आदेश
कटनी। शासकीय भूमि विशेष कर पानी मद की शासकीय भूमियों को संरक्षित करने की दिशा में न्यायालय कलेक्टर कटनी अवि प्रसाद द्वारा एक लोकहित में एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए शासकीय तालाब को विधि असम्मत प्रक्रिया अपनाकर कूटरचित तरीके से हथियाने के एक प्रकरण में तालाब को पुनः शासकीय मद में दर्ज करने का अंतरिम आदेश पारित किया है।
न्यायालय कलेक्टर कटनी अवि प्रसाद न्यायालय द्वारा मध्य प्रदेश भू राजस्व संहिता 1959 की धारा 32 के तहत प्रदत्त अंतर्निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए यह आदेश पारित किया गया है। साथ ही भूमिस्वामियो को भू राजस्व संहिता 1959 की धारा 115 के तहत नोटिस जारी करने का आदेश भी दिया है।
यह है सम्पूर्ण प्रकरण
ढीमरखेड़ा तहसील अंतर्गत ग्राम परासी पटवारी हल्का नंबर 35 स्थित खसरा नंबर 144 रकवा 7.46 हेक्टेयर पानी मद की भूमि कूटरचित तरीके से नरेश कुमार पिता रामकुमार, सुरेश कुमार पिता रामकुमार, नंद कुमार पिता रामकुमार और राजकुमार पिता रामकुमार द्वारा अपने नाम पर दर्ज करा लिए जाने की शिकायत रणजीत पटेल पिता घासीराम पटेल द्वारा प्रस्तुत की गई थी। जिस पर अनुविभागीय अधिकारी ढीमरखेड़ा द्वारा जांच कर 30 दिसंबर 2022 को प्रस्तुत अपने प्रतिवेदन के माध्यम से प्रतिवेदित किया गया कि ग्राम परासी स्थित खसरा नंबर 144 रकवा 7.46 हे. मिसल बंदोबस्त वर्ष 1989-90 में नरेश कुमार, सुरेश कुमार, राजकुमार, नंदकुमार निवासी बरेली भूमि स्वामी के रूप में अभिलेख में दर्ज है। बंदोबस्त से पूर्व के प्रस्तुत दस्तावेज के अवलोकन में उक्त भूमि पुराना खसरा नंबर 301 वर्ष 1970-71 से 1973-74 तक मध्यप्रदेश शासन पानी मद में दर्ज थी। 1975-76 के खसरा पांचशाला के संशोधन में भूमि राजकुमार, नरेश कुमार, सुरेश कुमार, नंदकुमार भूमिस्वामी दर्ज सीलिंग एक्ट काबिज पर तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी के आदेश पर दर्ज होना पाया गया जो निरंतर दर्ज हैं। वर्ष 1980-81 से 1983-84 तक का रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं पाए जाने और उसके बाद 1985-86 से उक्त भूमि के खसरे के कालम नंबर 3 में पूर्व में दर्ज पानी एवं तालाब विलोपित पाया गया। वर्ष 1989-90 में बंदोबस्त के समय नया खसरा नंबर 144 के खसरा कॉलम नंबर 2 में तालाब जुड़ा होने, वर्ष 1991-92 से 1993-94 तक खसरा पांचशाला के कॉलम नंबर 1 पर तालाब एवं कैफियत पर मौके पर तालाब पानी अभिलिखित पाया गया, लेकिन वर्ष 1995-96 से 1998-99 में कैफियत से तालाब और पानी विलोपित पाया गया। जांच में प्रथम दृष्टया यह तथ्य भी सामने आए कि बिना किसी प्रमाणिक दस्तावेज के अनावेदकों के नाम बिना किसी आधार के खसरे में दर्ज किए गए हैं।
उच्च न्यायालय द्वारा दिए निर्णय से लिया न्याय
अनुविभागीय अधिकारी ढीमरखेड़ा द्वारा इस संबंध में अधीक्षक भू अभिलेख से भी प्रतिवेदन लिया गया, जिसमें भूमिस्वामियों के नाम खसरे पर की गई प्रविष्टि संदेहास्पद और सीलिंग मावजे की कैफियत प्रविष्टि वर्ष 1975-76 का बगैर परीक्षण किए जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जाना पाया गया। न्यायालय कलेक्टर कटनी द्वारा प्रतिवेदनों, अधीनस्थ न्यायालयों और अधीक्षक भू अभिलेख के प्रतिवेदनों का अवलोकन किया गया। जिसमें प्रथम दृष्टया यह प्रतीत होता है कि ग्राम परासी स्थित खसरा नंबर 144 रकवा 7.46 हे पुराना खसरा नंबर 301 रकवा 7.446 हे भूमि 1970-71 से 1973-74 तक मध्य प्रदेश शासन पानी मद में दर्ज थी। राजस्व अभिलेखों में निरंतर तालाब (पानी) मद में दर्ज भूमि बिना मद परिवर्तित किए बिना सक्षम आदेश के भूमिस्वामी हक में दर्ज होने पर न्यायालय कलेक्टर कटनी द्वारा माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर के द्वारा स्नेहलता श्रीवास्तव एवं अन्य विरुद्ध मध्यप्रदेश शासन एवं अन्य के प्रकरण में दिए गए न्याय दृष्टांत के तहत मध्य प्रदेश भू राजस्व संहिता 1959 की धारा 115 के तहत प्रदत्त शक्तियों के उपयोग हेतु विधि अनुरूप पाया गया। न्यायालय कलेक्टर कटनी अवि प्रसाद द्वारा लोकहित में मध्यप्रदेश भू राजस्व संहिता 1959 की धारा 32 के तहत प्रदत्त अंतर्निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए उक्त भूमि को शासकीय तालाब में दर्ज करने का अंतरिम आदेश पारित कर तहसीलदार को अभिलेख अद्यतन कराकर अवगत कराने आदेशित किया है।
शासकीय भूमि के संरक्षण में अहम कड़ी
उल्लेखनीय है कि कलेक्टर अवि प्रसाद द्वारा दिया गया यह निर्णय शासकीय भूमियों और पानी मद की भूमियों के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण फैसला है। यह निर्णय कूटरचित दस्तावेजों और विधि असम्मत प्रक्रिया अपनाकर पानी मद की भूमि हड़पने वालों को हतोत्साहित करेगा।
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